स्वामी प्रेमानंद जी महाराज
वृंदावन के विख्यात संत प्रेमानंद महाराज ने हाल ही में एक 14 साल के लड़के के सवालों का जवाब दिया, जो अखंड ब्रह्मचर्य के जीवन को अपनाना चाहता था. उसने प्रेमानंद महाराज से पूछा था, “महाराज जी, मैं 14 साल का हूं और अखंड ब्रह्मचारी रहना चाहता हूं, क्या करूं?”
‘कठिन है अखंड ब्रह्मचर्य का मार्ग’
प्रेमानंद महाराज ने जवाब में कहा कि ब्रह्मचर्य का पालन करना बहुत कठिन है और इसके लिए खास अनुशासन की आवश्यकता होती है. उन्होंने कहा, “सबसे पहले, आपको गुरुजनों की देखरेख में रहना चाहिए और शिक्षा गुरुकुल में प्राप्त करनी चाहिए, न कि स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों के साथ.” उनका मानना था कि ब्रह्मचर्य के जीवन में एकांत सेवन, सात्विक आहार और असुविधाजनक जीवन की आदत डालनी पड़ती है, ताकि एक व्यक्ति अपना ध्यान पूरी तरह से ईश्वर में लगा सके.
‘गुरुकुल में रहकर करें तपस्या’
प्रेमानंद महाराज ने आगे कहा कि ब्रह्मचर्य की जीवनशैली के लिए गुरुकुल के कठोर नियमों का पालन करना बहुत जरूरी है. गुरुजनों के आदेशों के पालन और उनके मार्गदर्शन में ही ब्रह्मचर्य की सिद्धि प्राप्त हो सकती है. उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि इस मार्ग में कई बार सांसारिक आकर्षण व्यक्ति को विकलांग कर सकते हैं और पुराने संस्कार भी परेशान कर सकते हैं.
विवाह तक ब्रह्मचर्य का पालन
प्रेमानंद महाराज ने लड़के को यह सलाह दी कि जब तक वह विवाह के योग्य न हो जाए, तब तक वह ब्रह्मचर्य का पालन करे, लेकिन इस जीवन को अखंड रूप से जीने के लिए पूरी तरह से गुरु की शरण में रहकर तपस्या करनी पड़ेगी.
श्री कृष्ण के परम भक्त हैं प्रेमानंद
प्रेमानंद महाराज वृंदावन के प्रसिद्ध संत हैं, जो भगवान श्री कृष्ण के परम भक्त माने जाते हैं. वे भक्तों को सही मार्ग पर चलने के लिए गीता, उपनिषद और अन्य वेदों के तत्वज्ञान का प्रचार करते हैं. उनकी शिक्षाएं विशेष रूप से मानसिक और शारीरिक अनुशासन पर आधारित होती हैं, जो भक्तों को आत्म-सुधार और ध्यान की ओर मार्गदर्शन करती हैं. वे हमेशा जीवन में पवित्रता और ब्रह्मचर्य के महत्व को बताते हैं.
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