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कुशल संगठक…सौम्य स्वभाव… उग्र राष्ट्रवादी… जानें भाजपा के भीष्म पितामह लालकृष्ण आडवाणी का राजनीतिक सफर

Lal Krishna Advani Bharat Ratna: पीएम नरेंद्र मोदी ने आज एक्स पर ट्वीट कर लालकृष्ण आडवाणी को भारत रत्न देने का ऐलान किया. ऐसे में आइये जानते हैं उनका राजनीतिक करियर.

Lal Krishna Advani Bharat Ratna

पूर्व पीएम अटलजी के साथ आडवाणीजी.

Lal Krishna Advani Bharat Ratna: पीएम नरेंद्र मोदी ने आज पूर्व उपप्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी को भारत रत्न देने का ऐलान किया. उन्होंने स्वयं ट्वीट पर इसकी जानकारी दी. इससे पहले मोदी सरकार भाजपा के सबसे बड़े नेता अटल बिहारी वाजपेयी को भारत रत्न से सम्मानित कर चुकी है. भारत रत्न का ऐलान करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि वे हमारे समय के सबसे सम्मानित स्टे्टसमैन हैं. देश के विकास में उनके योगदान को कोई नहीं भूला सकता. उनकी संसदीय कार्यशैली हमेशा अनुकरणीय रही. आइये जानते हैं एक नजर आडवाणी जी के राजनीतिक जीवन पर-

लालकृष्ण आडवाणी का जन्म 8 नवंबर 1927 को कराची में हुआ. आजादी के बाद उनका परिवार दिल्ली में आकर रहने लगा. यहां आडवाणी जी अक्सर संघ की शाखाओं में जाया करते थे. इसके बाद उनकी मुलाकात उस समय के जनसंघ के संस्थापक सदस्य पंडित दीनदयाल उपाध्याय से हुई. इसके बाद वे जनसंघ में शामिल हो गए.

तीन बार बीजेपी अध्यक्ष रहे

लालकृष्ण आडवाणी 1970 से 1972 तक जनसंघ की दिल्ली इकाई के अध्यक्ष रहे. इसके बाद 1973 से 1977 तक जनसंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे. इमरजेंसी के दौरान जेल में रहे. इसके बाद 1977 में बनी पहली गैर कांग्रेसी सरकार में काबिना मंत्री रहे. इसके बाद जनता दल का विघटन हो गया तो उन्होंने और अटल बिहारी वाजपेयी ने मिलकर 1980 में भारतीय जनता पार्टी की नींव रखी. इसके बाद 1970 से 1989 तक वे 4 बार राज्यसभा के सदस्य रहे. इसके बाद वे तीन बार भाजपा के नेशनल प्रेसिडेंट रहे.

2015 में मोदी सरकार ने ही दिया था पद्म विभूषण

1989 में वे 9वीं लोकसभा के लिए दिल्ली से चुने गए. इसके बाद 1989 से 1991 तक लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष रहे. इसके बाद 1991 से 2014 तक लगातार वे गांधीनगर से लोकसभा के सांसद चुने गए. इससे पहले मोदी सरकार ने आडवाणी जी को देश के दूसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म विभूषण से सम्मानित किया. 2015 में पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी को भारत रत्न से सम्मानित किया गया था. तब के प्रेसिडेंट प्रणब मुखर्जी स्वयं उनके घर गए और उन्हें यह सम्मान दिया गया था. वाजपेयी के अलावा महामना पंडित मदनमोहन मालवीय को भी मरणोपरांत यह सम्मान दिया गया था.

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