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बिहार में LJP के भंवर में फंसी भाजपा, सीट शेयरिंग फाॅर्मूला नहीं हो पा रहा तय, जानें बात नहीं बनने पर क्या करेंगे चिराग?

NDA Seat Sharing Formula in Bihar: भाजपा अभी तक बिहार में सीट शेयरिंग का फाॅर्मूला तय नहीं कर पाई है. और यह समस्या तब हुई नीतीश कुमार की एनडीए में वापसी हो गई.

NDA Seat Sharing Formula in Bihar

अमित शाह और चिराग पासवान.

NDA Seat Sharing Formula in Bihar: लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस और भाजपा अपने सभी क्षेत्रीय क्षत्रपों के मन टटोल रही हैत्र. ताकि पता चल सके कि चुनाव से पहले स्थानीय पार्टी में किसी सीट को लेकर कोई मनमुटाव जैसी स्थिति है तो उससे निपटा जाए. हालांकि इस मामले में भाजपा अपने सभी सहयोगियों को साधन में अभी तक सफल रही है. हालांकि इस दौरान कांग्रेस के हाथ से ममता, नीतीश और जयंत चौधरी निकल भी गए. नीतीश कुमार तो इंडिया गठबंधन के जनक थे.

इस बीच बिहार में लोजपा (रामविलास) आगामी चुनाव एनडीए के साथ लडेंगे या अलग ये अभी तय नहीं है. बिहार में इस बात की बड़ी चर्चा हो रही है चिराग इतने खामोश क्यों है? आखिर वे 2 मार्च को पीएम की रैलियों में शामिल क्यों नहीं हुए? जानकारी के अनुसार आज वे बेतिया में होने वाली रैली में शामिल नहीं होंगे. ऐसे में चिराग की इस खामोशी की वजह सीट शेयरिंग का फाॅर्मूला है.

2019 के फाॅर्मूले पर चुनाव लड़ना चाहते हैं चिराग

नीतीश कुमार के एनडीए में वापसी के बाद से वे काफी परेशान है. सूत्रों की मानें तो चिराग भाजपा से लोकसभा चुनाव 2019 के फाॅर्मूले पर 6 सीटों की मांग कर रहे हैं. 2019 में पार्टी ने 6 सीटों पर चुनाव लड़ा और सभी सीटों पर जीत दर्ज की. हालांकि इसके बाद में पार्टी टूट गई.

भाजपा के लिए बिहार में सीटों का बंटवारा बहुत ही मुश्किल हो गया है. 2019 में 6 सीटों पर लड़ने वाली लोजपा अब दो फाड़ हो चुकी है. ऐसे में चिराग के अलावा उनके चाचा पशुपति पारस भी 6 सीटों की मांग कर रहे हैं. जो कि असंभव है. इसके अलावा चिराग अपने पिता की हाजीपुर सीट को लेकर अड़े हुए हैं. हाजीपुर सीट से दिवंगत रामविलास पासवान चुनाव लड़ते आए हैं. ऐसे में वे इस सीट से चुनाव लड़ना चाहते हैं.

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चिराग-चाचा भाजपा के लिए ऐसे बने मुसीबत

वहीं 2019 वाला फाॅर्मूला इसलिए भी तय नहीं हो पा रहा है क्योंकि चिराग और उनके चाचा पशुपति दोनों ही 6 सीटें मांग रहे हैं. जो कि भाजपा के लिए असंभव है. ऐसे में चिराग और पशुपति के हाथ मिलाने पर ही 2019 वाला फाॅर्मूला लागू हो सकता है. वहीं दूसरी और जीतनराम मांझी और उपेंद्र कुशवाहा भी एनडीए में शामिल हो गए हैं ऐसे में उन्हें भी भाजपा एक-एक सीट दे सकती है.

चिराग के पास ये दो रास्ते

ऐसे में अगर चिराग और चाचा के बीच सबकुछ ठीक नहीं होता है तो चिराग के पास दो रास्ते बचेंगे. या तो वे महागठबंधन में शामिल हो जाएं या फिर चिराग अकेले ही लोकसभा चुनाव मैदान में उतरे. ऐसे में वे उन सीटों पर प्रत्याशी उतार सकते हैं जहां बीजेपी चुनाव नहीं लड़े. वे उन सभी सीटों पर चुनाव लड़ेंगे जहां जेडीयू, हम और कुशवाहा के उम्मीदवार चुनाव लड़ेंगे. बता दें कि चिराग ऐसा 2020 विधानसभा चुनाव में कर चुके हैं जो कि नीतीश के 2022 में एनडीए छोड़ने की वजहों में से एक था.

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