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Lok Sabha Elections 2024: सपा और कांग्रेस के बीच मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के दौरान पड़ी दरार फिलहाल भरती दिखाई नहीं दे रही है. जानकार मानते हैं कि सपा की नाराजगी का असर यूपी में दिख सकता है. हालांकि दोनों राजनीतिक दलों के नेता ये दावा कर रहे हैं कि आने वाले लोकसभा चुनाव तक खटास खत्म हो जाएगी और ‘इंडिया’ गठबंधन एकजुट होकर चुनाव में भाजपा को टक्कर देगा, लेकिन इसके बाद भी दोनों दल ‘प्लान बी’ पर भी काम करने में जुटे हैं और अपने-अपने स्तर से यूपी लोकसभा की सभी 80 सीटों पर प्रत्याशी उतारने को लेकर बयान दे रहे हैं. सियासत के जानकार मानते हैं कि अगर किसी कारण I.N.D.I.A. टूटता है तो उत्तर प्रदेश में कांग्रेस के लिए काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है.
समाजवादी पार्टी खेमे से सूत्र बता रहे हैं कि, पार्टी एमपी का बदला यूपी में ले सकती है. इसी के साथ ये भी खबर सामने आ रही है कि सपा रायबरेली और अमेठी में भी मजबूत प्रत्याशी उतारने की योजना बना रही है और इसको लेकर तलाश भी शुरू कर दी गई है. दूसरी ओर कांग्रेस भी अखिलेश परिवार के लिए एक सीट छोड़कर यूपी की अन्य सभी सीटों पर चुनाव लड़ने की योजना बना रही है. तो वहीं सपा के वरिष्ठ नेता ने दावा किया है कि, अगर गठबंधन नहीं हुआ तो सपा रायबरेली और अमेठी में भी अपने प्रत्याशी उतार सकती है. इसके बाद से सियासत गरम हो गई है. तो इसी के साथ ही कांग्रेस की टेंशन भी बढ़ गई है.
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बता दें कि रायबरेली कांग्रेस की शीर्ष नेता सोनिया गांधी का संसदीय क्षेत्र है तो वहीं अमेठी से राहुल गांधी भी चुनाव लड़ते रहे हैं, लेकिन 2019 में राहुल गांधी को अमेठी में भाजपा की स्मृति ईरानी ने हरा दिया था. तो वहीं इस बार खबर सामने आ रही है कि राहुल एक बार फिर से अमेठी से चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं. तो वहीं मीडिया सूत्रों की मानें तो सपा रायबरेली में ऊंचाहार से विधायक मनोज पांडेय को अपना प्रत्याशी बनाने पर सोच- विचार कर रही है और अमेठी के लिए गौरीगंज से विधायक राकेश प्रताप सिंह के नाम को लेकर सपा खेमे में चर्चा जारी है. बता दें कि राजनीतिक दोस्ती के चलते सपा की ओर से अभी तक इन दोनों सीटों पर उसके प्रत्याशी नहीं उतारे जाते थे, लेकिन मध्य प्रदेश में खींची तलवार ने अब सपा को सोचने के लिए मजबूर कर दिया है तो वहीं राजनीतिक जानकार मानते हैं कि अगर सपा ने यूपी में कांग्रेस का साथ छोड़ दिया तो कांग्रेस को अपनी जमीन तलाशना मुश्किल हो जाएगा.
हालांकि कांग्रेस भी हमेशा से सियासी दोस्ती निभाती आई है, इसीलिए यादव परिवार की सीट पर अपने प्रत्याशी नहीं उतारती रही है. ऐसे में माना जा रहा है कि अगर दोनों दल एक-दूसरे के खेमे में चुनाव लड़ते हैं तो कांग्रेस को नुकसान हो सकता है. क्योंकि अमेठी और रायबरेली में कांग्रेस से अधिक सपा का जनाधार है. अमेठी की पांच विधानसभा में कांग्रेस एक सीट पर भी नहीं है तो वहीं सपा के दो विधायकों का कब्जा है. इसी तरह रायबरेली में पांच सीटों में चार पर सपा के ही विधायकों का कब्जा है. तो वहीं मैनपुरी, आजमगढ़ और कन्नौज में कांग्रेस का कोई खास प्रभाव नहीं है. ऐसे में जानकार मानते हैं कि सपा का साथ छोड़ने पर कांग्रेस बिल्कुल अकेली हो जाएगी.
-भारत एक्सप्रेस
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