विजय़ यादव
UP News: लखनऊ कोर्ट में बेखौफ होकर वकील की ड्रेस पहनकर माफिया संजीव माहेश्वरी उर्फ जीवा की हत्या करने वाले विजय यादव के बारे में अब सभी लोग जानने के लिए बेताब हैं. उसने मैग्नम अल्फा .357 बोर पिस्टल से जीवा को टारगेट करके 6 राउंड फायरिंग की और फिर जीवा मौत के मुंह में समा गया. फिलहाल विजय यादव की उम्र 25 साल बताई जा रही है और वह जौनपुर जिले के केराकत कस्बे के सुल्तानपुर गांव का निवासी है. उसने बुधवार को जीवा को उस वक्त ढेर कर दिया था, जब उसे कोर्ट लाया गया था. इस घटना के बाद से लोग एक बार फिर से यूपी की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े करने लगे हैं.
वो तो गया था नौकरी करने
मीडिया सूत्रों की मानें तो वारदात के बाद जीवा को वकीलों ने पकड़ लिया था, लेकिन वह फिर भी नहीं डरा और वकीलों से लगातार भिड़ता रहा. हालांकि बाद में वकीलों ने उसे पीटकर पुलिस के हवाले कर दिया था. उसके बारे में जानकारी सामने आ रही है कि विजय यादव एक लड़की को भगाने के आरोप में जेल भी जा चुका है. वह फरवरी तक मुम्बई में था और बताया जाता है कि वह वहां नौकरी कर रहा था. फिलहाल हत्याकांड के बाद से हमलावर विजय यादव के जौनपुर के सुल्तानपुर स्थित घर पर, जहां उसका परिवार रहता है, भारी पुलिस बल तैनात कर दिया गया है. तो वहीं विजय यादव के पिता श्याम यादव ने मीडिया को बताया है कि, वह 25 साल का है और मेरा ही बेटा है. पिता ने कहा है कि वह नौकरी करने के लिए घर से निकला था, लेकिन अब जो उसके बारे में जानकारी मीडिया के माध्यम से सामने आ रही है, उस पर भरोसा नहीं हो रहा है.
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भाई ने बताया इस तरह हुई जानकारी
वहीं श्याम यादव के दो छोटे बेटे सत्यम और सुंदरम में से सत्यम ने बताया कि, गांव के एक भइया दौड़ते हुए आए थे और उन्होंने फोटो दिखाते हुए कहा था कि देखो ये आनंद ही है न. हमने फोटो देखी, तो पूछा क्या हुआ है. इस पर उन्होंने ही हत्या वाली बात बताई थी. बता दें कि इस घटना के बाद से ही गांव में विजय का परिवार एकदम से चर्चा में आ गया है.
विजय ने कभी किसी से लड़ाई भी नहीं की
मीडिया सूत्रों के मुताबिक पिता श्याम यादव ने बताया कि वह मिठाई की दुकान चलाते हैं और उनके चार बेटे हैं. विजय यादव दूसरे नंबर का है तो उससे बड़ा स्वतंत्र यादव है जो कि दिल्ली की एक कंपनी में काम करता है. उसकी शादी हो चुकी है. तो वहीं विजय बीकॉम पास है. उसके बाद तीसरा बेटा सत्यम है, जो 11वीं में पढ़ाई कर रहा है. सबसे छोटा बेटा सुंदरम अभी कक्षा-9 में पढ़ रहा है. पिता ने विजय को लेकर आगे मीडिया को जानकारी दी कि, विजय मुंबई में नौकरी करता था. बहुत सीधा-सादा था. पिता ने बताया कि उसने आज तक किसी से लड़ाई तक नहीं की और अब उसके द्वारा गोली मारने की बात सामने आ रही है, जिस पर विश्वास नहीं हो रहा है. वो इतना सीधा था कि, अपने काम से काम रखता था. आज तक इधर-उधर नहीं बैठता था. गांव में भी किसी से कोई विवाद उसने नहीं किया. इसी के साथ पिता ने ये भी कहा कि, ये घटना कैसे हुई, उसने ऐसा क्यों किया. हमें कुछ समझ नहीं आ रहा है.
ग्राम प्रधान ने दी सूचना
विजय यादव के पिता ने मीडिया को बताया कि उन्हें ग्राम प्रधान से सूचना मिली थी कि बेटे ने लखनऊ में किसी को गोली मार दी है. इसके बाद वह घर पहुंचे कि बुधवार (हत्या वाले दिन) की शाम के करीब 6 बजे 6 पुलिस वाले घर पर आ गए और विजय के बारे में पूछताछ की. पिता ने बताया कि, पुलिस वालों ने पूछा था कि विजय कितने दिन पहले घर आया था और वह लखनऊ क्यों गया था? इस पर पिता ने मीडिया को जानकारी दी कि वह मार्च में घर आया था. यही जानकारी उन्होंने पुलिस को भी दी थी. इसी के साथ पिता ने बताया कि वह मुंबई गया था नौकरी करने के लिए लेकिन कम पैसे मिलने के कारण वह लौट आया और इसलिए वह लखनऊ में काम ढूंढने के नाम से घर से निकला था. पिता ने बताया कि, 22 मार्च को वह लखनऊ चला गया. पिता ने ये भी बताया कि विजय ने उनको जानकारी दी थी कि, वह किसी पानी की पाइप वाली कंपनी में काम कर रहा है.
मां की आंखों में नहीं रुक रहे आंसू
इस घटना में विजय का हाथ सामने आने के बाद विजय की मां के पैरों तले जमीन खिसक गई है. मीडिया सूत्रों के मुताबिक वह लगातार रो रही हैं और बस यही कह रही हैं कि हमारा बेटा सबसे प्रेम से बात करता था. इसी के साथ छोटे भाई सुंदरम ने बताया कि ”भैया 10 मई को मामा के लड़के की शादी में शामिल होने आए थे. इसके बाद फिर से 11 मई को लखनऊ के लिए चले गए थे. हमारी उनसे तब ही आखिरी बार बात हुई थी. इसके बाद से उनका फोन स्विच ऑफ था.” सुदंरम ने आगे जानकारी दी कि, ”भैया का फोन अक्सर स्विच ऑफ बताता था. यही वजह थी कि इतने दिनों तक बात नहीं हुई तो अचरज नहीं हुआ. इसी के साथ सुंदरम ने मीडिया को ये भी जानकारी दी कि, अक्सर उनके फोन में बैलेंस की समस्या भी रहती थी. वह अपने जीवन में पहली बार लखनऊ गए थे.”
बीकॉम तक की है विजय ने पढ़ाई
विजय के पिता ने मीडिया को बताया कि, उसकी प्रारंभिक शिक्षा गांव में ही हुई. इसके बाद उसने 9वीं से इंटर तक की पढ़ाई पब्लिक इंटर कॉलेज से की. इसके बाद 2016 में विजय ने मोहम्मद हसन डिग्री कॉलेज से बीकॉम किया और इसी के बाद नौकरी की तलाश में अन्य शहरों में जाने लगा. पिता ने ये भी बताया कि, विजय पढ़ाई के दौरान मिठाई की दुकान पर भी बैठता था. वहीं भाई ने बताया कि, दुकान पर भी उसका किसी से कभी कोई विवाद नहीं हुआ. उसकी प्रधान के भतीजे से अच्छी दोस्ती थी. प्रधान भी इस बात की गवाही दे देंगे.
6 महीने पहले हुई थी जेल
मीडिया से पूछताछ के दौरान सुंदरम ने ये भी जानकारी दी कि, 10 जुलाई को आजमगढ़ की एक लड़की अपने घर से भाग गई थी. 16 जुलाई, 2016 को हमारे बड़े भाई की शादी थी. शादी के बाद 25 जुलाई को किसी ने घर में बताया कि मिठाई की दुकान का शटर गिरा हुआ है और वहां कोई नहीं है. उस दौरान विजय ही दुकान पर बैठता था. सुंदरम ने आगे बताया कि, जब हम दुकान पहुंचे, तो विजय दुकान में नहीं था. इसी दौरान आजमगढ़ पुलिस घर पहुंची थी और पुलिस ने बताया था कि विजय ने नाबालिग लड़की को भगाया है. इसके बाद 6 महीने बाद आजमगढ़ पुलिस ने विजय को मुंबई से गिरफ्तार किया था और उसे आजमगढ़ जेल ले जाया गया था. इसी के साथ विजय के भाई ने बताया कि, 6 महीने बाद हमने आनंद की जमानत करा ली थी, तब पुलिस ने लड़की को किसी दूसरे लड़के के साथ बरामद कर लिया था. इसके बाद वह मुंबई में काम करने चला गया था और तारीख पड़ने पर यहां आता था. कोरोना महामारी के दौरान विजय घर पर ही रहा था. इसके बाद फरवरी 2023 तक उसने मुंबई में ही काम किया.
लड़की वालों ने कर लिया था सुलहनामा
विजय के पिता ने आजमगढ़ वाली घटना का आगे जिक्र करते हुए बताया कि, विजय पर जो केस चल रहा था, वह इसी साल मार्च में खत्म हो गया था. लड़की के घर वालों ने सुलहनामा कर लिया था. केस खत्म होने के बाद विजय ने मुंबई न जाने के बजाय, घर के पास में ही नौकरी तलाश करने की बात कही थी और फिर लखनऊ चला गया था. तो वहीं केराकत थाना प्रभारी जयप्रकाश यादव ने बताया विजय यादव के खिलाफ कोविड काल में कोविड प्रोटोकॉल न पालन करने से संबंधित मुकदमा दर्ज है. इसके खिलाफ एक मुकदमा अन्य जिले में लड़की भगाने से संबंधित है.
आजमगढ़ जेल में ही हुआ था अपराधियों से संपर्क
पुलिस सूत्रों का मानें तो आजमगढ़ जेल में रहने के दौरान ही विजय यादव उर्फ आनंद का सम्पर्क अपराधियों से हुआ था. बता दें कि इस जेल में पूर्वांचल के कई कुख्यात अपराधी बंद हैं. यहां बृजेश सिंह के साथ ही मुख्तार अंसारी के कई गुर्गे भी सजा काट रहे हैं. वहीं इस घटना से ये बात सामने आई है कि जिस ढंग से विजय ने हत्याकांड को अंजाम दिया है, उससे ऐसा लग रहा है जैसे किसी पेशेवर ने वारदात को अंजाम दिया हो. अब सवाल ये भी उठ रहा है कि, 22 मार्च को पहली बार लखनऊ गए विजय ने 74 दिन बाद किस तरह रेकी की? किसके कहने पर पूरा प्लान तैयार किया और उसे हथियार किसने दिया और जीवा की हत्या क्यों की गई? यह बड़े सवालों का जवाब अभी भी विजय के अंदर ही दफन है. बता दें कि विजय ने बुधवार (7 जून) को जीवा पर उस वक्त हमला किया था जब वह कोर्ट में अपनी पेशी का इंतजार कर रहा था. उस पर पीछे से हमलावर ने गोलियां मारी थी और जीवा वहीं गिर पड़ा था.
-भारत एक्सप्रेस
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