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एक बैठक में हल हो गई रामलीला संचालकों की समस्याएं, पालक मंत्री मंगल प्रभात लोढ़ा ने लिए कई बड़े फैसले

रामलीला आयोजन अपनी परेशानियों को लेकर मंत्री के पास पहुंचे तो एक झटके में ही सारी समस्याएं हल हो गईं.

Maharashtra: मुंबई बीते कई दशकों से हो रही रामलीला संचालकों की समस्या का आज पालक मंत्री मंगल प्रभात लोढ़ा ने एक बैठक के बाद तुरंत निराकरण कर दिया. खासकर पिछले पांच दशकों से दक्षिण मुंबई के आजाद मैदान पर रामलीला का आयोजन करने वाली समितियों को संबंधित विभाग से अब तक अनुमति नहीं मिलने के कारण रामलीला आयोजन पर संकट के बादल मंडरा रहे थे. 15 अक्टूबर से शारदीय नवरात्रि के साथ ही मुंबई में गरबा रास, डांडिया और रामलीला की शुरुआत होने जा रही है, लेकिन रामलीला के लिए विभिन्न एजेंसियों की अनुमति नहीं मिलने से रामलीला संचालक परेशान हो गए थे. पालक मंत्री के आदेश पर रामलीला के लिए आवश्यक मैदान का शुल्क आधा कर दिया गया. NOC के लिए फायर ब्रगेड का शुल्क पूरी तरह माफ कर दिया गया है. साथ ही तुरंत अनुमति देने के लिए वन विंडो खिड़की के माध्यम से अनुमति देने का निर्देश दिया.

उपनगर के पालक मंत्री मंगल प्रभात लोढ़ा ने इस मामले का स्वयं संज्ञान लेते हुए मनपा, पुलिस, स्पोर्टस, फायर ब्रिगेड की मनपा मुख्यालय ने बैठक बुलाई थी. भाजपा मुंबई उपाध्यक्ष आचार्य पवन त्रिपाठी ने बैठक के लिए रामलीला आयोजन समिति के बीच समन्वय बनाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया. जिस कारण से समस्या का त्वरित निदान हो सका. इस बैठक में महाराष्ट्र रामलीला मंडल के सुरेश मिश्रा, रंजीत सिंह, साहित्य कला मंच के विनय मिश्रा, सेवा केंद्र के विरेंद्र सिंह, आदर्श रामलीला रामदरक अग्रवाल, रामलीला उत्सव समिति के चंद्र शेखर शुक्ला, महाराष्ट्र रामलीला समिति उत्सव समिति के राकेश पांडे, संकल्प रामलीला समिति का राजेश मिश्रा आदि उपस्थित थे.

सबसे बड़ी समस्या आजाद मैदान को लेकर थी, यहां पर खेल विभाग की तरफ से अनुमति देने में देरी की जा रही थी. जिसको लेकर रामलीला संयोजक परेशान थे। पालक मंत्री मंगल प्रभात लोढ़ा की बैठक ने केवल निराकरण किया गया बल्कि रामलीला समित की तीन प्रमुख मांगों को मंजूर कर लिया गया. पालक मंत्री की निर्णय लेने की क्षमता की रामलीला समित के संचालकों ने सराहना की. सभी ने उनका आभार प्रकट किया.

रामलीला के आयोजन में आने वाली ज्यादातर समस्याएं हल कर दी गई है. इससे आयोजक रामलीला का आयोजन और अच्छी तरह से कर पाएंगे. बीएमसी के मैदानों पर रामलीला का आयोजन करने वालों से लिए जाने वाले शुल्क में भारी कटौती का निर्णय लिया गया है. आधी की कटौती की है। फायर ब्रिगेड का लगने वाला शुल्क पूरी तरह से खत्म कर दिया गया है. इसके अलावा आयोजकों को अनुमति लेने के लिए दरबदर भटकना नहीं पड़ेगा। वन विंडो सिस्टम बनाया जाएगा ताकि एक ही जगह पर सभी तरह की अनुमति मिल सके.

मुंबई में रामलीला के आयोजन में कई तरह की समस्याएं आती थी. संबंधित विभाग में आयोजक फाइलें लेकर चक्क्रर लगाते थे. इस बार भी ऐसा ही हो रहा था. रामलीला के लिए विभिन्न एजेंसियों की अनुमति नहीं मिलने से रामलीला संचालक परेशान हो गए थे. रामलीला के आयोजकों की समस्याओं को दूर करने की पहल मुंबई उपनगर जिले के पालक मंत्री मंगल प्रभात लोढ़ा ने की. उन्होंने खुद संज्ञान लेते हुए शुक्रवार को बीएमसी मुख्यालय में एक बैठक बुलाई जिसमें बीएमसी अधिकारी, पुलिस विभाग, फायर ब्रिगेड सहित अन्य संबंधित विभाग के अधिकारी शामिल हुए. बीजेपी के वरिष्ठ नेता आचार्य पवन त्रिपाठी ने बैठक के लिए रामलीला आयोजन समिति के बीच समन्वय में महत्वपूर्ण योगदान दिया. बैठक में महाराष्ट्र रामलीला मंडल के सुरेश मिश्रा, रंजीत सिंह, साहित्य कला मंच के विनय मिश्रा, सेवा केंद्र के वीरेंद्र सिंह, आदर्श रामलीला रामदरक अग्रवाल, रामलीला उत्सव समिति के चंद्रशेखर शुक्ला, महाराष्ट्र रामलीला समिति उत्सव समिति के राकेश पांडे, संकल्प रामलीला समिति का राजेश मिश्रा आदि उपस्थित थे.

बैठक में आयोजकों ने अपनी बात विस्तार से रखी. पालक मंत्री लोढ़ा ने कहा कि रामलीला के आयोजक अपनी बात को खुलकर रखे ताकि उनकी समस्याओं को हमेशा के लिए हल किया जा सके। आयोजकों को किसी के सिफारिश की आवश्यकता ही न पड़े. ऐसे में आयोजकों ने अपनी समस्याओं को रखा.

इस पर पालक मंत्री लोढ़ा ने बीएमसी अधिकारियों से कहा कि इनकी समस्याएं कोई बहुत बड़ी नहीं है। छोटी-छोटी बात के लिए आयोजकों को परेशान करना ठीक नहीं है। रामलीला के आयोजक हमारी संस्कृति और विरासत को आगे लेकर चल रहे हैं ऐसे में उन्हें परेशान करना कत्तई उचित नहीं है। खासकर आजाद मैदान पर रामलीला का आयोजन करने वालों को बहुत सारी परेशानियां आती है। पालक मंत्री लोढ़ा ने आदेश दिया कि बीएमसी के जिस भी मैदान पर रामलीला का आयोजन किया जाता है वहां पर लगाने वाले शुल्क में 50 प्रतिशत कटौती करे. फायर ब्रिगेड का लगने वाला शुल्क पूरी तरह से खत्म कर किया जाए, क्योंकि इस तरह की सुविधा मुहैया कराना फायर ब्रिगेड की जिम्मेदारी है.

-भारत एक्सप्रेस

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