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Malihabad Mango: आम की सीजन जारी है. कई तरह के आम बाजारों में दिखाई दे रहे हैं. तो इसी बीच ‘बटर पेपर’ वाले आम की चर्चा तेजी से हो रही है. सोशल मीडिया से लेकर हर जगह पर लखनऊ के मलीहाबाद के ये आम लोगों की पहली पसंद बनते जा रहे हैं. यही वजह है कि यहां के किसान भीषण गर्मी में लगातार बटर पेपर का इस्तेमाल कर इसकी पैदावर को बढ़ाने में जुटे हैं.
न्यूज एजेंसी एएनआई से बात करते हुए आम उत्पादक अजीमुल्लाह खान ने कहा, “इस बटर पेपर से आम में कोई केमिकल नहीं होगा. इससे आम एकदम ताजा रहेगा. ये खाने में ताजा और कोई केमिकल नहीं होता तथा ये खाने में मजेदार होता है. 5-6 साल में इंसान यही आम मांगेगा क्योंकि हर इंसान केमिकल खाने से बच रहा है.”
उन्होंने आगे कहा कि केमिकल से इंसान बीमार होता है. ये आम 110-125 रुपए किलो बिक रहा है और बिना बटर पेपर वाले आम 25-40 रुपए किलो बिक रहा है लेकिन फिर भी इस आम को लोग अधिक खरीद रहे हैं, क्योंकि ये ताजा आम है और बिना केमिकल के है. इसकी मांग धीरे-धीरे ज्यादा बढ़ रही.”
जलवायु परिवर्तन से भी बचाती है ये अनूठी विधि
आम उत्पादकों ने बताया कि बटर पेपर कवर की यह अनूठी विधि मलीहाबादी दशहरी, गुलाब खास, हुस्नआरा और अन्य के लिए प्रसिद्ध जीआई-संरक्षित आम बेल्ट में फलों को जलवायु परिवर्तन से भी बचाता है. इसी के साथ ही आम को कीट आदि से होने वाले तमाम संभावित नुकसानों से भी बचाता है. मालूम हो कि लखनऊ के केंद्रीय उपोष्णकटिबंधीय बागवानी संस्थान (CISH) की मदद से शुरू किए गए कवर बैग ने न केवल फसल को अत्यधिक गर्मी और हवाओं से बल्कि कीटों से भी बचाने में मदद की है.
मालूम हो कि मलीहाबाद में पिछले साल सफल पायलट चरण के बाद, किसानों ने बटर पेपर बैग को बड़े पैमाने पर अपनाकर आमों की बड़ी पैदावार करने में जुटे हैं. एक आम उत्पादक राम सजीवन ने मीडिया को बताया कि “बटर पेपर की मदद से उगाए जाने वाले आमों को लेकर परिणाम आश्चर्यजनक थे. फल न केवल आकार में बड़ा था, बल्कि उसका रंग भी एकदम सही था. इसमें मूल पीला-हरा रंग था जो लगभग इतिहास में लुप्त हो चुका था. इसके अलावा, गूदा एक समान और एकदम सही था, जबकि बीज के पास आमतौर पर जेली जैसा गूदा होता है.” बता दें कि भारत दुनिया का सबसे बड़ा आम उत्पादक देश है और उत्पादन का 46% हिस्सा यहीं पैदा करता है. भारत के आम उत्पादन में उत्तर प्रदेश की हिस्सेदारी 35% है, लेकिन राज्य और देश से निर्यात 10% से भी कम है, जिसका मुख्य कारण खराब संरक्षण पद्धतियाँ हैं. फिलहाल इस अनूठी विधि की मदद से किसान लगातार आम पैदावार में बढ़ोतरी करने में जुटे हैं.
#WATCH लखनऊ: आम उत्पादक अजीमुल्लाह खान ने कहा, "इस बटर पेपर से आम में कोई केमिकल नहीं होगा। इससे आम एकदम ताजा रहेगा। ये खाने में ताजा और कोई केमिकल नहीं होता तथा ये खाने में मजेदार होता है। 5-6 साल में इंसान यही आम मांगेगा क्योंकि हर इंसान केमिकल खाने से बच रहा है। केमिकल से… https://t.co/1fRVxNCGtu pic.twitter.com/Lel6Qw7E4O
— ANI_HindiNews (@AHindinews) June 23, 2024
-भारत एक्सप्रेस