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मराठा आरक्षण कार्यकर्ता मनोज जारांगे पाटिल ने हड़ताल खत्म करने से किया इनकार, बुधवार को बुलाई बैठक

जारांगे पाटिल ने मांग की कि मराठा समुदाय के सभी लोगों को कुनबी माना जाए और उन्हें तदनुसार (ओबीसी कोटा के तहत) आरक्षण दिया जाए.

Manoj jarange Patil

मराठों को जाति-आधारित आरक्षण प्रदान करने के लिए आंदोलन का नेतृत्व करने वाले और भूख हड़ताल पर बैठे कार्यकर्ता मनोज जारांगे पाटिल ने महाराष्ट्र विधानसभा में पेश और पारित किए गए आरक्षण विधेयक का स्वागत किया. हालांकि दलील दी गई कि जो आरक्षण प्रस्तावित किया गया है, वह समुदाय की मांग के अनुरूप नहीं है.

पाटिल ने कुछ मिनट बाद कहा, “हमें आरक्षण चाहिए जिसके हम हकदार हैं, हमें उन लोगों को ओबीसी के तहत आरक्षण दें जिनके कुनबी होने का प्रमाण मिल गया है और जिनके पास कुनबी होने का प्रमाण नहीं है, उनके लिए “सेज सोयरे” कानून पारित करें.” विधेयक को विधान सभा द्वारा सर्वसम्मति से पारित किया गया. उन्होंने बुधवार दोपहर 12 बजे मराठा समुदाय की बैठक बुलाई है. जारांगे पाटिल की मांग है कि किसी के रक्त संबंधियों को भी कुनबी पंजीकरण की अनुमति दी जानी चाहिए. कुनबी महाराष्ट्र में ओबीसी ब्लॉक के तहत एक जाति है.

मराठा समुदाय के सभी लोगों को माना जाए कुनबी

जारांगे पाटिल ने मांग की कि मराठा समुदाय के सभी लोगों को कुनबी माना जाए और उन्हें तदनुसार (ओबीसी कोटा के तहत) आरक्षण दिया जाए, लेकिन सरकार ने फैसला किया कि केवल कुनबी प्रमाण पत्र के निजाम युग के दस्तावेजों वाले लोगों को ही इसके तहत लाभ मिलेगा. पाटिल ने कहा, “मैं अधिक से अधिक लोगों से बैठक के लिए अंतरवली सारती पहुंचने की अपील करता हूं. मैं सेज सोयरे को लागू करने की अपनी मांग पर कायम हूं. मैं आरक्षण का स्वागत करता हूं लेकिन जो आरक्षण दिया गया है वह हमारी मांग के अनुरूप नहीं है.

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आगे इलाज कराने से किया इनकार

उन्होंने आगे कहा “सरकार द्वारा दिए गए आरक्षण से मराठा के केवल 100 -150 लोगों को लाभ होगा, हमारे लोग आरक्षण से वंचित रहेंगे.  इसलिए मैं “सेज सोयरे” को लागू करने की मांग कर रहा हूं, आंदोलन के अगले दौर की घोषणा कल की जाएगी.  हम लेंगे यह वही है जिसके हम हकदार हैं,” इस बीच, मनोज जारांगे पाटिल ने अपने हाथ से अंतःशिरा ड्रिप हटा दी और डॉक्टरों से आगे इलाज करने से इनकार कर दिया. महाराष्ट्र विधान सभा (निचले सदन) ने मंगलवार को पेश किए गए मराठा आरक्षण विधेयक को सर्वसम्मति से पारित कर दिया, जिसका उद्देश्य मराठों को 50 प्रतिशत की सीमा से ऊपर 10 प्रतिशत आरक्षण देना था. सीएम अब इस बिल को मंजूरी के लिए विधान परिषद में पेश करेंगे जिसके बाद यह कानून बन जाएगा. महाराष्ट्र विधानसभा में विपक्ष के नेता विजय वडेट्टीवार ने कहा कि विपक्षी दलों की भी यही राय है कि मराठा समुदाय को आरक्षण दिया जाए.



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