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INDIA Alliance Meeting: दिल्ली में मंगलवार को इंडिया (I.N.D.I.A.) गठबंधन की बैठक जरूर हुई, लेकिन गंठबंधन से जुड़े राजनीतिक दलों का दिल यूपी में ही अटका रहा. दरअसल बैठक में जहां एक सीटों के बंटवारे सहित कई मुद्दों पर बात हुई तो वहीं बार-बार मायावती के नाम पर भी चर्चा हुई. दरअसल, इस मौके पर गठबंधन के कई नेताओं ने लोकसभा चुनाव में बसपा को साथ लेकर चलने की सलाह दी. यूपी कांग्रेस नेताओं ने कहा कि बीएसपी को इंडिया में शामिल करना चाहिए, क्योंकि बसपा के बिना यूपी में भाजपा को हराना मुश्किल है.
इस बैठक में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने बैठकों के दौर को लेकर कहा कि 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले कई दौर की बैठकों का आयोजन होगा. इस बैठक से ठीक पहले कांग्रेस की एक बैठक हुई, जिसमें सबसे ज्यादा चर्चा यूपी को लेकर हुई. इसी के साथ उन्होंने ये भी कहा कि, मायावती की बहुजन समाज पार्टी को साथ लेकर चलने की भी बात कही गई है. बता दें कि इस मौके पर कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी दल पटना, बेंगलुरू, मुंबई के बाद दिल्ली में इकट्ठा हुए थे. दिल्ली में इंडिया गठबंधन की बैठक से पहले हुई कांग्रेस की बैठक में मल्लिकार्जुन खरगे के साथ ही राहुल गांधी और पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी ने भी हिस्सा लिया. तो वहीं इंडिया गठबंधन की बैठक में लोकसभा चुनाव में बसपा को साथ लेकर चलने की बात बार-बार कही गई और ये भी दावा किया गया कि, अगर बसपा साथ नहीं आती है तो यूपी में भाजपा को हराना आसान नहीं होगा.
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बैठक में ये हुई चर्चा
बता दें कि यूपी में लोकसभा की 80 सीटें हैं. माना जाता है कि अगर दिल्ली की कुर्सी हासिल करनी है तो यूपी को जीतना बहुत जरूरी है. इसलिए हर राजनीतिक दल की निगाहें यूपी पर ही टिकी रहती हैं. तो वहीं 2024 में मोदी सरकार को सत्ता से हटाने के लिए इंडिया गठबंधन के तहत सभी विपक्षी दल एकजुट हुए हैं, लेकिन मायावती ने अकेले ही चुनाव लड़ने का फैसला किया. इस पर लगातार इंडिया गठबंधन में मायावती को शामिल करने की बात उठ रही है. मंगलवार को हुई बैठक में भी यूपी कांग्रेस के नेताओं ने इस मुद्दे को पुरजोर तरीके से उठाया और कहा कि, अगर यूपी में बीजेपी को हराना है, तो बीएसपी को साथ लाना होगा. यानी मायावती की पार्टी को इंडिया गठबंधन में शामिल करना होगा. हालांकि इस दौरान कई ऐसे भी नेता रहे जिन्होंने मायावती पर भरोसा ने करने की सलाह दी.
जानें क्यों है बसपा की जरूरत?
बता दें कि उत्तर प्रदेश में भाजपा बहुत ही मजबूत पार्टी है. बीजेपी को हराने के लिए कांग्रेस को स्थानीय दलों की जरूरत है. चूंकि सपा पहले से ही इंडिया गठबंधन में शामिल है, लेकिन सिर्फ दो दलों का गठबंधन आसानी से जीत नहीं दिलाने वाला है. क्योंकि 2014 चुनाव में कांग्रेस को 2 सीट और 2019 में 1 सीट ही जीत में मिल सकी थी. तो वहीं सपा ने 2014 में 5 सीटें जीती, तो 2019 में बसपा के साथ गठबंधन कर भी 5 सीटों पर जीत हासिल की थी. तो वहीं,2014 के लोकसभा चुनाव में बसपा को एक भी सीट पर जीत नहीं मिली था, लेकिन जब 2019 में पार्टी ने सपा के साथ मिलकर चुनाव लड़ा, तो उसे 10 सीटों पर जीत हासिल हुई. ऐसे में ये समीकरण बताता है कि अगर कांग्रेस सपा और बसपा दोनों के साथ मिलकर चुनावी मैदान में कूदती है तो जीत की राह आसान हो जाएगी. क्योंकि उत्तर प्रदेश की राजनीति में मायावती का अभी भी बड़ा जनाधार है, जिसे कम नहीं कहा जा सकता.
-भारत एक्सप्रेस
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