एक ऐसा अनोखा देश, जहां आजादी के बाद से कभी नहीं हुआ इलेक्शन, जानें वजह
MiG-21 Bison fighter Aircraft Farewell: भारतीय वायुसेना में 6 दशक से सेवाएं देते आ रहे मिग-21 बाइसन लड़ाकू विमान ने आज अपनी आखिरी उड़ान भरी. इस विमान को बाड़मेर स्थित उत्तरलाई एयरबेस से मंगलवार को अंतिम उड़ान के साथ विदाई दी गई, इस दौरान वहां तीनों सेनाओं के सैनिक मौजूद रहे.
वायुसेना के एक अधिकारी ने बताया कि एक लंबे सफर को विराम देते हुए भारतीय वायु सेना के नंबर 4 स्क्वाड्रन के मिग-21 बाइसन लड़ाकू विमान ने 31 अक्टूबर, 2023 को राजस्थान के बाड़मेर में उत्तरलाई शहर के ऊपर आखिरी बार उड़ान भरी. इस मौके पर मिग-21 बाइसन ने Su-30 MKI के साथ उड़ान भरी है. उन्होंने कहा कि भारतीय वायु सेना मिग-21 स्क्वाड्रनों को चरणबद्ध तरीके से हटा रही है और उनकी जगह स्वदेशी एलसीए मार्क-1ए लड़ाकू विमान लाने की तैयारी में है.
डिफेंस पीआरओ कर्नल अभिताभ शर्मा ने कहा कि भारत के पास इस तरह के सैकड़ों विमान थे, जिनमें से अधिकतर हादसे के शिकार हो गए. इसकी पहचान ‘ओरियल्स’ नाम से भी थी और इसकी एक स्क्वाड्रन 1966 से मिग-21 का संचालन किया जा रहा था. आज इस लड़ाकू विमान की विदाई के लिए उत्तरलाई एयरफोर्स स्टेशन में खास प्रोग्राम का आयोजन किया गया.
उत्तरलाई एयरबेस से आज मिग-21 के साथ सुखोई-30 एमकेआई विमान ने भी उड़ान भरी. 57 साल बाद मिग-21 की उतरलाई एयरबेस से विदाई हुई है. अब यहां सुखोई-30 की स्क्वाड्रन तैनात होगी. सुखोई-30 भारतीय वायुसेना के सबसे ताकतवर लड़ाकू विमानों में से ये एक है. यह हवा से जमीन और हवा से हवा में एक साथ टारगेट को तबाह कर सकता है. भारत के पास ऐसे करीब 250 विमान हैं.
राजस्थान का बाड़मेर जिला काफी बड़ा है. यहां पर पिछले 9 साल में 8 मिग क्रैश हो चुके हैं. लगातार हो रहे हादसों के चलते मिग के पुराने विमानों को एयरबेस से हटाने की चर्चा शुरू हुई. बताया जा रहा है कि अभी इनको उत्तरलाई एयरबेस से हटाया गया है, हालांकि देश में बाकी जगह पर इनकी स्क्वाड्रन कुछ साल और तैनात रहेगी.
मिग-21 को रूस की 1939 में बनी कंपनी ने बनाना शुरू किया था और 1985 से रूस में मिग-21 की फ्लीट पर पूरी तरीके से रोक लगा दी गई. हालांकि, उसके लगभग 37 साल बाद भी इसे भारत में इस्तेमाल किया जाता रहा है. 58 साल से भी ज्यादा पुराना मिग-21 विमान आजकल ट्रेनिंग में यूज किया जा रहा है. ऐसे 400 से ज्यादा विमान हादसे का शिकार हो चुके हैं. हादसों में 200 से ज्यादा पायलटों की जान चली गई.
— भारत एक्सप्रेस
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