
सांकेतिक तस्वीर.
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मंगलवार (1 जुलाई) को अनुसंधान विकास और नवाचार (RDI Scheme) के लिए 1 ट्रिलियन रुपये के कोष को मंजूरी दी, जिसका उद्देश्य दीर्घकालिक, कम लागत वाले वित्तपोषण के माध्यम से रणनीतिक और उच्च विकास वाले क्षेत्रों में निजी क्षेत्र के निवेश को बढ़ावा देना है.
सरकार ने एक बयान में कहा, “नवाचार को बढ़ावा देने और अनुसंधान के व्यावसायीकरण में निजी क्षेत्र की महत्वपूर्ण भूमिका को मान्यता देते हुए, आरडीआई योजना का उद्देश्य कम या शून्य ब्याज दरों पर लंबी अवधि के लिए दीर्घकालिक वित्तपोषण या पुनर्वित्त प्रदान करना है.”
इस योजना को ‘सूर्योदय क्षेत्रों’ – उच्च विकास क्षमता वाले उद्योगों जैसे डीप-टेक, एआई और हरित प्रौद्योगिकियों – को विकास और जोखिम पूंजी की पेशकश करके निजी क्षेत्र के अनुसंधान वित्तपोषण में अंतराल को दूर करने के लिए डिज़ाइन किया गया है. आरडीआई योजना सामरिक महत्व की प्रौद्योगिकी अधिग्रहण को भी वित्तपोषित करेगी, जिससे भारत वैश्विक प्रतिस्पर्धा के प्रमुख क्षेत्रों में अपनी घरेलू क्षमताओं को मजबूत कर सकेगा.
RDI Scheme कैसे काम करेगी?
ये योजना (RDI Scheme) दो स्तरों पर काम करेगी. पहले स्तर पर, अनुसंधान राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन (एएनआरएफ) के तहत एक विशेष प्रयोजन कोष (एसपीएफ) स्थापित किया जाएगा, जो 1 ट्रिलियन रुपये के कोष का प्रबंधन करेगा. दूसरे स्तर पर, फंड मैनेजर इन फंडों को कम या बिना ब्याज पर दीर्घकालिक ऋणों के माध्यम से, या स्टार्ट-अप्स में इक्विटी निवेश के माध्यम से विशिष्ट अनुसंधान एवं विकास परियोजनाओं में लगाएंगे.
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आरडीआई फंड की घोषणा मूल रूप से वित्त वर्ष 2025 के जुलाई बजट में की गई थी. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस साल 1 फरवरी को अपने बजट भाषण में इस पहल के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) को 20,000 करोड़ रुपये आवंटित किए थे. डीएसटी का बजट 2014 में 2,777 करोड़ से बढ़कर वित्त वर्ष 26 में 28,509 करोड़ हो गया है, और इसी अवधि में अनुसंधान और विकास पर सकल व्यय 60,196 करोड़ से बढ़कर 1,27,380 करोड़ हो गया है.
-भारत एक्सप्रेस
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