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‘हमने कीचड़ में छिपकर बचाई जान..’, Pahalgam Attack से बचे प्रसन्न कुमार ने सुनाई कंपकंपा देने वाली आपबीती

Pahalgam Terror Attack: पहलगाम में आतंकियों से बचे मैसूर के प्रसन्न कुमार ने बताया- एक आर्मी अफसर की सूझबूझ से 35-40 लोगों की जान बची थी. वे बाड़ के नीचे से रेंगते हुए कीचड़ में एक घंटे तक छिपे रहे. आतंकी जब कइयों का खूब बहाकर चले गए तो वे निकले.

Pahalgam Terror Attack
Vijay Ram Edited by Vijay Ram

Pahalgam Terror Attack: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में विगत 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले में 26 लोगों की जान चली गई थी. इस कायराना हमले में बचे मैसूर के प्रसन्न कुमार भट ने अपनी भयावह आपबीती साझा की है. उन्होंने बताया कि किस तरह उनकी जान और उनके साथ मौजूद 35-40 अन्य पर्यटकों की जान उनके भाई की सूझबूझ और सेना की तत्परता ने बचाई.

प्रसन्न अपने भाई, जो सेना में एक वरिष्ठ अधिकारी हैं, के साथ पहलगाम के बैसारन घाटी घूमने आए थे. मंगलवार दोपहर करीब 2:25 बजे अचानक दो गोलियों की आवाज आई और फिर सन्नाटा छा गया. थोड़ी देर में ताबड़तोड़ गोलियां चलने लगीं. उन्होंने बताया, “यह पहली बार था जब हमने AK-47 की गोली की तेज़ आवाज़ सुनी थी.”

सैन्‍य अधिकारी की सूझबूझ ने बचाई कई जानें

प्रसन्न ने बताया कि उनका भाई तुरंत समझ गया कि यह आतंकवादी हमला है. वे एक टॉयलेट के पास छिप गए, जो प्रवेश द्वार से करीब 400 मीटर दूर था. वहां से उन्होंने देखा कि एक आतंकवादी उनकी ओर बढ़ रहा है. ऐसे में उन्होंने विपरीत दिशा में भागने का निर्णय लिया और करीब 35-40 लोगों को भी वहीं से निकालने में मदद की.

बाड़ के नीचे से निकल कर कीचड़ में छिपे

पूरे क्षेत्र को बाड़ से घेरा गया था, जिससे बाहर निकलने का कोई आसान रास्ता नहीं था. लेकिन सौभाग्य से एक जगह पर नाली के पाइप के नीचे एक संकीर्ण रास्ता मिला. सभी लोग उसी रास्ते से निकलकर कीचड़ की ढलान में फिसलते हुए नीचे पहुंचे और एक गड्ढे में छिप गए.

‘हमने एक घंटे तक खौफ में बिताया वक्त’

प्रसन्न ने कहा, “हम एक घंटे तक उस गड्ढे में छिपे रहे. गोलियों की आवाज़ अब भी हमारे कानों में गूंज रही थी. हमारे साथ बच्चे और बुजुर्ग भी थे, कुछ बिछुड़ भी गए थे, हमें नहीं पता था वे ज़िंदा हैं या नहीं.”

उन्‍होंने बताया कि 3:40 बजे हेलिकॉप्टर की आवाज सुनाई दी और थोड़ी देर में स्पेशल फोर्सेस के जवान वहां पहुंचे. उन्होंने कहा कि क्षेत्र अब सुरक्षित है और सभी लोग नीचे आ सकते हैं.

‘वो कभी न भूलने वाला खौफनाक मंजर’

प्रसन्न ने इस हमले को “स्वर्ग की खूबसूरती पर नर्क की आग” बताया. उन्होंने कहा कि इस घटना ने उन्हें अंदर से झकझोर दिया और यह डर उनके ज़ेहन में हमेशा बना रहेगा. उन्होंने पीड़ितों के प्रति संवेदना जताई और भारतीय सेना और अपने भाई का आभार व्यक्त किया.

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