
NCB Bust Drug Racket: दिल्ली जोनल यूनिट की नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (NCB) ने एक ऐसा खुलासा किया है जो सिर्फ कानून व्यवस्था ही नहीं, बल्कि समाज की चेतना को भी झकझोर देता है. दवाएं जो इलाज के लिए बनी होती हैं, उन्हें नशे का ज़रिया बना दिया गया. दिल्ली, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में फैले एक अंतरराज्यीय गिरोह ने फार्मास्युटिकल दवाओं का अवैध निर्माण और वितरण शुरू कर रखा था, जिसमें कोडीन फॉस्फेट, अल्प्राजोलम और स्यूडोएफ़ेड्रिन जैसी नशीली दवाएं शामिल थीं.
ऑपरेशन की शुरुआत जनवरी 2025 में दिल्ली के एक कुरियर सेंटर से हुई जब 3.6 किलोग्राम कोडीन टैबलेट्स पकड़ी गईं. धीरे-धीरे जांच ने एक खतरनाक जाल का खुलासा किया, जिसमें हरिद्वार की एक अवैध दवा फैक्ट्री शामिल थी. 6 जून को उस लैब पर छापा मारकर NCB ने उसे बंद कराया. यह लैब बिना किसी वैध लाइसेंस के चल रही थी और वहां बड़े पैमाने पर साइकोट्रॉपिक दवाएं बनाई जा रही थीं.
छापेमारी में इतना कुछ बरामद हुआ
छापेमारी के दौरान कुल 9.144 किलोग्राम अल्प्राजोलम, 2.360 किलोग्राम कोडीन फॉस्फेट, लगभग 10,000 ब्रांडेड टैबलेट्स, 1.383 किलोग्राम स्यूडोएफ़ेड्रिन और 130 किलोग्राम से अधिक कच्चा माल बरामद किया गया. इस मामले में अब तक 8 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है.
अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क से जुड़े तार?
NCB को संदेह है कि इस गिरोह के तार अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क से भी जुड़े हो सकते हैं. सवाल यह है कि बिना लाइसेंस के ये लैब कैसे सालों तक चलती रही? किसकी मिलीभगत थी? और सबसे अहम — क्या हम अपने युवाओं को ऐसी जहरीली दवाओं से बचा पाएंगे?
यह ऑपरेशन एक चेतावनी है — दवाओं का गलत इस्तेमाल उतना ही खतरनाक है जितना किसी भी नशीले पदार्थ का सेवन. अब वक्त है कि समाज, सरकार और व्यवस्था — तीनों को मिलकर नशे के इस नए रूप से लड़ने के लिए कमर कसनी होगी.
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