
PNB घोटाले मामले में आरोपी नीरव मोदी के भाई निहाल मोदी को गिरफ्तार कर लिया गया है. ये गिरफ्तारी अमेरिका में हुई है. प्रवर्तन निदेशालय (ED) और केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) के प्रत्यर्पण की अपील पर ये गिरफ्तारी हुई है. 17 जुलाई को निहाल की जमानत पर सुनवाई होगी. ये सुनवाई नेशनल डिस्ट्रिक्ट ऑफ होनोलूलू में होगी. इस गिरफ्तारी की पुष्टी अमेरिका न्याय विभाग ने की है .
निहाल पर सबूत मिटाने का आरोप
निहाल मोदी पर हीरा धोखाधड़ी का मामला तो चल ही रहा था अब उनपर 13,600 करोड़ रुपये के PNB घोटाले में मिलीभगत का आरोप है. प्रवर्तन निदेशालय (ED) और केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) का साफ तौर पर कहना है कि निहाल मोदी अपने भाई नीरव मोदी के साथ मिलकर अलग-अलग फर्जी कंपनियों के माध्यम से पैसे को इधर-उधर किया है.
कैसे हुई गिरफ्तारी?
इंटरपोल ने निहाल मोदी के 2019 में खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस जारी किया था. इसके बाद उनकी तलाश दुनियाभर में शुरू हो गई थी. प्रवर्तन निदेशालय (ED) और केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) को इनपुट मिला कि निहाल अमेरिका में हैं. जिसके बाद ED और CBI ने 2021 में अमेरिका से उनके प्रत्यर्पण की मांग की थी. अब अमेरिकी अधिकारियों ने भारत के अनुरोध पर निहाल को होनोलूलू में गिरफ्तार कर लिया. अब उनकी जमानत याचिका पर सुनवाई 17 जुलाई 2025 को नेशनल डिस्ट्रिक्ट ऑफ होनोलूलू कोर्ट में होगी.
निहाल मोदी कौन हैं?
निहाल मोदी के पास बेल्जियम की नागरिकता हैं और वो न्यूयॉर्क में रहते थे. वे नीरव मोदी की कंपनी Firestar Diamonds USA के डायरेक्टर थे. उन पर आरोप है कि उन्होंने नीरव के साथ मिलकर फर्जी कंपनियों के जरिए पैसे की हेराफेरी की और घोटाले के बाद सबूत मिटाने की कोशिश की.
PNB घोटाला क्या है?
2018 में PNB घोटाला सामने आया था. जब पता चला कि नीरव मोदी और उनके मामा मेहुल चोकसी ने बैंक के कुछ कर्मचारियों के साथ मिलकर फर्जी लेटर ऑफ अंडरटेकिंग (LoU) के जरिए 13,600 करोड़ रुपये का घोटाला किया है और ये पैसे फर्जी कंपनियों में ट्रांसफर किए गए है.
निहाल की भूमिका क्या थी?
निहाल ने नीरव की दो फर्जी कंपनियों को मैनेज किया था.इन कंपनियों में करीब 350 करोड़ रुपये ट्रांसफर किए गए थे. घोटाले के बाद उन्होंने दुबई में डिजिटल सबूत जैसे मोबाइल फोन और सर्वर नष्ट किए थे. उन्होंने 6 मिलियन डॉलर के हीरे, 3.5 मिलियन दिरहम और 50 किलो सोना गायब किया था. CBI का आरोप है कि निहाल ने नीरव के कर्मचारियों और डमी डायरेक्टर्स को धमकाया ताकि वे भारत में चस रहे जांच में शामिल ना हों.
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