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लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चुनौती देने वाला कोई नजर नहीं आता

Lok Sabha Election 2024: चुनावों को लेकर आम आदमी से लेकर खास और तमाम राजनीतिक विश्लेषकों का अपना-अपना नजरिया है. पढ़िए सत्ता पक्ष और विपक्ष का एक तुलनात्मक विश्लेषण.

राहुल गांधी और पीएम मोदी

Lok Sabha Election 2024: देश में लोकसभा चुनाव को लेकर बहने वाली बयार तीन चरणों के मतदान के बाद अब काफी तेज हो गई है. सारे राजनीतिक दलों ने अपनी पूरी ताकत इन चुनावों में झोंक दी है. लोकसभा चुनाव को लेकर जहां भाजपा की ओर से पीएम मोदी लगातार चुनावी रैलियां कर रहे हैं तो वहीं कांग्रेस की ओर से राहुल गांधी मोर्चा सम्भाले हुए हैं.

इन चुनावों को लेकर आम आदमी से लेकर खास और तमाम राजनीतिक विश्लेषकों का अपना-अपना नजरिया है. वहीं अब सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर राजनीतिक विश्लेषक Shrin (@ShrrinG) ने अपने अकाउंट पर चुनावों की समीक्षा करते हुए एक पोस्ट शेयर किया है.

अपनी पोस्ट में उन्होंने इस बात पर जोर देकर इसके बारे में विस्तार से बताया है कि लोकसभा चुनावों में कैसे सत्ता पक्ष को चुनौती देने वाला गायब है. विश्लेषण में मुख्यत: पीएम मोदी और कांग्रेसी नेता राहुल गांधी की लोकसभा चुनाव- 2024 को लेकर चुनावी तैयारियों की समीक्षा की गई है. शुरुआत में इस बात का जिक्र किया गया है कि कैसे सत्ता पक्ष को चुनौती देने वाला गायब है…पढ़ें…

लोकसभा चुनाव में चुनौती देने वाला गायब है

लोकसभा चुनाव एक ही कहानी के साथ शुरू हुआ कि पीएम मोदी लगातार तीसरी बार सत्ता संभालकर अगली सरकार बनाएंगे. बीजेपी और एनडीए की सीटों की संख्या को लेकर भविष्यवाणी की गई है. भविष्यवाणियां इस आधार पर भिन्न हो सकती हैं कि उन्हें कौन बना रहा है, लेकिन हर गंभीर विश्लेषक इस बात से सहमत है कि मोदी 3.0 हमसे आगे है. अब अगर आप विपक्ष होते तो क्या करते? आप कहानी गढ़ने, खबरों के प्रसार को रोकने, अपने विचारों को सामने लाने, लोगों के साथ संवाद करने आदि का प्रयास करेंगे. यह वास्तव में काफी सामान्य और सनसनीखेज है. लेकिन देखिए सबसे बड़े प्रतिद्वंद्वी राहुल गांधी ने क्या किया है – वस्तुतः कुछ भी नहीं!

पीएम मोदी के प्रचार प्रसार के तौर तरीको की विशेषताओं को भी Shrin (@ShrrinG) ने विधिवत प्रकाश डाला है. उन्होंने पीएम मोदी के चुनावी प्रचार के तौर तरीको को बतलाते हुए लिखा है..

पीएम मोदी ने कैसे प्रचार किया

चुनाव की घोषणा के बाद, पीएम ने मार्च में 9, अप्रैल में 68 और मई में 26 रैलियां कीं – इस व्यस्ततम कार्यक्रम के बावजूद, पीएम को मार्च के बाद से 24 साक्षात्कार देने का भी समय मिला! – साक्षात्कार में क्षेत्रीय (थांथी टीवी, असम ट्रिब्यून, एशियानेट ग्रुप, विजयवाणी, न्यूज18, सकाल, ईनाडु, कच्छ मित्रा, दिव्य भास्कर, गुजरात समाचार, फूलछाब, संदेश न्यूज, आनंद बाजार पत्रिका), राष्ट्रीय (हिंदुस्तान, हिंदुस्तान टाइम्स, एएनआई) शामिल थे. दैनिक जागरण, टाइम्स ऑफ इंडिया, न्यूज18, टाइम्स नाउ) और अंतर्राष्ट्रीय (न्यूजवीक) मीडिया आउटलेट – यदि यह अलौकिक नहीं था, तो चुनाव की घोषणा के बाद, उन्होंने 21 रोड शो भी किए हैं – और निश्चित रूप से मंदिरों और गुरुद्वारों में अनगिनत यात्राएं की हैं और प्रतिष्ठित लोगों और आम नागरिकों से समानजनक रूप से उन्होंने मुलाकात की है.

वहीं राहुल गांधी के चुनावी रणनीति और योजनाओं की समीक्षा करते हुए उन्होंने कहा कि…

राहुल गांधी ने कैसे प्रचार किया

न्याय यात्रा 17 मार्च को समाप्त हुई थी – तब से 8 मई तक, राहुल गांधी ने 39 सार्वजनिक बैठकों को संबोधित किया – इसमें मार्च में 1, अप्रैल में 29 और 10 बैठकें मई में शामिल हैं – इनमें से कई बैठकें उन स्थानों पर हुई हैं जहां कांग्रेस के जीतने की बहुत कम या कोई संभावना नहीं है (उदाहरण के लिए भिंड, केंद्रपाड़ा) – बेशक इन नंबरों के बारे में सही पुष्टि होने पर खुशी है, लेकिन यह जानकारी उनके यूट्यूब चैनल से आसानी से प्राप्त की जा सकती है जो कि सभी लाइव इवेंट को कवर करता है – राहुल गांधी ने कितने साक्षात्कार किए हैं? कोई नहीं! – न्याय यात्रा और INDI साझेदारों के दौरान कुछ सेट-अप प्रेस कॉन्फ्रेंस हुईं – उनके आईटी सेल के साथ सोशल मीडिया प्रोजेक्शन के लिए बातचीत हुई, जहां से हमें उनके शतरंज के स्किल के बारे में पता चला – लेकिन कोई मीडिया इंटरैक्शन या साक्षात्कार नहीं हुआ.

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राजनीतिक विश्लेषक Shrin (@ShrrinG) ने पक्ष और विपक्ष की चुनावी रणनीति को लेकर आखिर में अपनी पोस्ट में तुलनात्मक तौर पर समीक्षा की है. कांग्रेस की रणनीति पर सवाल उठाते हुए उन्होंने लिखा है कि…

इसके विपरीत

कैसे हो सकता है क्या कोई गंभीर रूप से चुनौती देने वाला दो कार्यकाल के सत्ताधारी के खिलाफ लगभग एक तिहाई रैलियों को संबोधित करता है? – कोई भी गंभीर चुनौती देने वाला चरम सीजन के दौरान 24-36 घंटे तक चुनाव प्रचार से अनुपस्थित कैसे रह सकता है? – कोई भी गंभीर चुनौती देने वाला बातचीत के लिए मुख्यधारा या वैकल्पिक मीडिया में कैसे नहीं जा सकता? – राहुल गांधी जमीनी स्तर पर कार्रवाई में क्यों गायब हैं? – क्या कांग्रेस अपने बॉस को छुपा रही है ताकि वह अपनी पार्टी को होने वाले नुकसान को सीमित कर सके?

और अंत में उन्होेने लिखा… क्षमा करें, लेकिन लोकसभा चुनाव में चुनौती देने वाला गायब है.



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