प्रतीकात्मक तस्वीर
भारत का उत्तरपूर्वी भाग हाइड्रो पावर का केंद्र है. यह देश की कुल पनबिजली क्षमता का लगभग 40 प्रतिशत है. इसके अतिरिक्त, इस क्षेत्र में ताप विद्युत उत्पादन के लिए कोयला, तेल और गैस के प्रचुर संसाधन भी हैं.
बुनियादी ढांचे और संचार सुविधाओं में निरंतर सुधार के साथ, नॉर्थ ईस्टर्न इलेक्ट्रिक पावर कॉरपोरेशन के अनुसार, उत्तर पूर्व क्षेत्र अपनी बिजली क्षमता का उपयोग करके विशेष रूप से हाइडल क्षेत्र में, भारत का पावर हाउस बन गया है.
इस क्षेत्र में लगभग 58,356 मेगावाट (>25 मेगावाट) की विशाल पनबिजली क्षमता है, जिसमें से 30 नवंबर 2021 तक 2027 मेगावाट (लगभग 3.47 प्रतिशत) का दोहन किया जा चुका है. अतिरिक्त 2120 मेगावाट पनबिजली प्रोसेस में है. इसके अलावा लगभग 92.9 प्रतिशत का दोहन किया जाना बाकी है।.एनईआर की हाइड्रो स्थापित क्षमता में NEEPCO का योगदान 1,525 मेगावाट है, जो लगभग 75.23 प्रतिशत है.
ये भी पढ़ें: Assam: पोबितोरा वन्यजीव अभयारण्य में वाइल्ड लाइफ टूरिज्म का रोमांच, एक सिंग वाले गैंडे के लिए है फेमस
मेघालयन की रिपोर्ट के मुताबिक, अरुणाचल प्रदेश सरकार ने राज्य में NHPC, NEEPCO, SJVN और THDC जलविद्युत विकास सहित निजी बिजली इकाइयों से केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रमों (CPUs) को 14 प्रमुख जलविद्युत परियोजनाओं को ट्रांसफर करने का फैसला लिया है और इसके लिए मई में समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर होने वाले हैं.
-भारत एक्सप्रेस
इस तरह की अन्य खबरें पढ़ने के लिए भारत एक्सप्रेस न्यूज़ ऐप डाउनलोड करें.