सीएम योगी आदित्यनाथ (फाइल फोटो)
UP News: यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ लगातार बड़े फैसले ले रहे हैं. इसी क्रम में उन्होंने संपत्ति के बंटवारे को लेकर नया नियम लागू करते हुए लोगों को बड़ी राहत दी है. हालांकि पिछले साल भी पहली बार छह माह के लिए इस तरह की छूट दी गई थी, जिसकी अवधि दिसंबर में समाप्त हो गई थी. इस बार फिर से परिवार की संपत्ति का पारिवारिक सदस्यों के बीच बंटवारे के लिए संबंधित सदस्यों के पक्ष में दान विलेख (गिफ्ट डीड), बंटवारा पत्र व पारिवारिक व्यवस्थापन/समझौता ज्ञापन निष्पादन में सिर्फ पांच हजार रुपये की स्टांप ड्यूटी ही देनी होगी. यह छूट करीब सात महीने बाद मिली है. इसके बाद ऐसे मामलों में संपत्ति के विक्रय विलेख (सेल डीड) की रजिस्ट्री की तरह संपत्ति के मूल्य का सात प्रतिशत तक स्टांप ड्यूटी नहीं देनी होगी, जो कि लोगों के लिए बड़ी राहत है.
बता दें कि मंगलवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में कैबिनेट की बैठक हुई थी. इस दौरान स्टांप एवं रजिस्ट्रेशन विभाग के रक्त संबंधी मामलों में स्टांप ड्यूटी से भारी-भरकम छूट देने संबंधी प्रस्ताव को मंजूरी दी गई है. बता दें कि इस तरह की छूट की सुविधा कर्नाटक, मध्यप्रदेश व महाराष्ट्र सहित कई राज्यों में पहले से ही है. वहीं उत्तर प्रदेश में गत वर्ष दिसंबर से इस तरह की छूट नहीं दी जा रही थी. अगर भारतीय स्टांप अधिनियम के प्रावधानों को देखें तो इस तरह की छूट देने का अधिकार सरकार को है. इसीलिए योगी सरकार ने उसी अधिकार का इस्तेमाल करते हुए पिछले वर्ष पहली बार सिर्फ छह माह के लिए छूट देने का निर्णय किया था और अब फिर से लिए गए इस फैसले के बाद जनता को काफी राहत मिली है. फिलहाल ये छूट अगले आदेश तक जारी रहेगी.
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लगातार की जा रही थी मांग
पिछली बार जब दिसंबर में छह माह पूरे होने के बाद से छूट लोगों को नहीं मिल रही थी, तभी से छूट देने के लिए लगातार लोग सरकार से मांग कर रहे थे. इसे देखते हुए योगी सरकार ने कुछ संशोधनों के साथ नए सिरे से अगले आदेश तक छूट देने का बड़ा फैसला किया है, जिससे यूपी की जनता को खासी सहूलियत मिलेगी. पूरे मामले को लेकर स्टांप व पंजीयन मंत्री रवीन्द्र जायसवाल ने मीडिया को जानकारी दी कि पिछले वर्ष मात्र छह माह के भीतर ही 2.58 लाख परिवारों ने छूट का फायदा उठाया था. तो वहीं राज्य सरकार को इससे लगभग 1100 करोड़ रुपये का राजस्व मिला था.
अब ये लोग आएंगे दान विलेख के दायरे में, देना होगा निबंधन शुल्क
अब दान विलेख के दायरे में पारिवारिक सदस्यों में पिता, माता, पति, पत्नी, पुत्र, पुत्री, पुत्रवधु, दामाद, सगा भाई, सगी बहन, पुत्र व पुत्री के बेटा-बेटी के साथ ही सगे भाई की मृत्यु होने की दशा में उसकी पत्नी को भी शामिल किया गया है. वहीं अचल संपत्तियों के ट्रांसफर से संबंधित विलेखों पर छूट का जो भी लाभ होगा, स्टांप एवं रजिस्ट्रेशन विभाग द्वारा अधिसूचना जारी होने की तिथि से दिया जाएगा. यानी छूट के बाद राजस्व व रजिस्ट्री पर जो भी प्रभाव पडेगा, उसका अध्ययन कर छूट को अब अगले आदेश तक बनाए रखा जाएगा. तो वहीं पहले की तरह ही, पांच हजार रुपये की स्टांप ड्यूटी के साथ एक प्रतिशत निबंधन शुल्क भी देना होगा.
पारिवारिक संपत्ति के मामलों में मुकदमेबाजी घटने का अनुमान
योगी सरकार के इस निर्णय के बाद पारिवारिक संपत्ति मामलों में मुकदमेबाजी घटने का अनुमान लगाया जा रहा है. क्योंकि दान विलेख (गिफ्ट डीड), बंटवारा पत्र और पारिवारिक व्यवस्थापन/समझौता ज्ञापन निष्पादन आदि पर अभी संपत्ति की रजिस्ट्री की तरह संपत्ति के मूल्य का सात प्रतिशत तक स्टांप लगता है. इसी वजह से परिवार के सदस्य व लोग शुल्क चुकाने से बचने के लिए जब बहुत जरूरी होता है, तभी रजिस्ट्री कराते हैं और परिवार के स्वामी परिवार के अन्य सदस्यों व अपनों के हक में वसीयत कर देते हैं. चूंकि वसीयत स्वामी की मौत के बाद ही प्रभावी होती है, इसलिए कई बार वसीयत निष्पादित होने के मामलों में विवाद की स्थिति भी बन जाती है और मामले कोर्ट में फंस जाते हैं जो साल-दर साल पीढियों तक कोर्ट में ही फंसे रहते हैं.
-भारत एक्सप्रेस