ज्ञानवापी सर्वे
Gyanvapi ASI Survey: वाराणसी में ज्ञानवापी परिसर में ASI सर्वे जारी है. मंगलवार को सर्वे का पांचवां दिन था. वहीं इससे सम्बंधित खबरें भी लगातार मीडिया में प्रसारित हो रही हैं. अब सर्वे की मीडिया कवरेज पर मस्जिद पक्ष ने आपत्ति जताई है. इसी के साथ जिला जज की कोर्ट में प्रार्थना पत्र देते हुए इसे गलत ठहराया है. इस पर 9 अगस्त यानी आज सुनवाई है. जानकारी सामने आ रही है कि प्रार्थना पत्र में कहा गया है कि जिस स्थान का सर्वे अभी शुरू भी नहीं हुआ है, उस स्थान को लेकर सोशल मीडिया से लेकर इलेक्ट्रॉनिक व प्रिंट मीडिया तथ्यहीन व एकदम गलत जानकारी व रिपोर्ट प्रसारित कर रही है, जबकि सर्वेक्षण टीम के द्वारा इस सम्बंध में कोई भी बयान नहीं दिया जा रहा है.
शृंगार गौरी के आवेदन पर भी होगी सुनवाई
सूत्रों के मुताबिक, ये आरोप अंजुमन इंतजामिया मस्जिद कमेटी ने लगाए हैं. कमेटी ने मीडिया कवरेज रोकने की मांग की है. कोर्ट ने अन्य पक्षकारों से इस मामले में आपत्ति तलब की है और सुनवाई के लिए 9 अगस्त की तारीख तय की है. बुधवार को शृंगार गौरी मूल वाद में राखी सिंह की तरफ से दिए उस आवेदन पर भी जिला जज की अदालत में सुनवाई होनी है, जिसमें ज्ञानवापी परिसर को सुरक्षित व संरक्षित करने की मांग की गई है.
अदालत ने आदेश रखा सुरक्षित
बता दें कि मंगलवार को सिविल जज (सीनियर डिवीजन फास्टट्रैक) आकाश वर्मा की अदालत में मस्जिद पक्ष के प्रार्थना पत्र पर आदेश को ज्योतिर्लिंग आदि विश्वेश्वर विराजमान की ओर से बड़ी पियरी निवासी अधिवक्ता अनुष्का तिवारी व इंदू तिवारी द्वारा दाखिल वाद की सुनवाई हुई थी. इसके बाद इस मामले में मस्जिद पक्ष की ओर से वाद में वर्णित दस्तावेजों को उपलब्ध कराने की मांग के प्रार्थना पत्र पर आदेश को सुरक्षित रख लिया गया है. इस मामले में अगली सुनवाई 19 अगस्त को होगी.
वाद में ये की गई है मांग
सूत्रों के अनुसार, ज्ञानवापी स्थित भगवान का मालिकाना हक घोषित करने के साथ ही केंद्र व राज्य सरकार से भव्य मंदिर का निर्माण कराने में सहयोग करने की मांग तो की ही गई है साथ ही साल 1993 में जो बैरिकेडिंग कराई गई थी, उसे हटाने की मांग भी की गई है. बता दें कि इस मामले में 5 जनवरी को मस्जिद पक्ष ने प्रार्थना पत्र दाखिल किया था और वाद पत्र में वर्णित दस्तावेजों की मांग की गई थी. उस वक्त कहा गया था कि इनका अवलोकन किए बिना जवाबदेही दाखिल करना संभव नहीं है. तो वहीं वादी पक्ष ने आपत्ति जताते हुए कहा था कि जो भी साक्ष्य दिए गए हैं वह सार्वजनिक और ऐतिहासिक हैं, जिसे कमेटी खुद प्राप्त कर सकती है. इसके बाद अदालत ने दोनों पक्षों की बहस सुनी और फिर आदेश के लिए तिथि तय कर दी.