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ताने ही बन गए ताकत…और बन गईं दारोगा; पढ़ें देश की पहली ट्रांसजेंडर की दिल छू लेने वाली कहानी

इससे पहले केरल एकमात्र ऐसा राज्य रहा है जहां पर ट्रांसजेंडर को एक सिपाही के तौर पर सरकारी सेवा में काम करने का मौका मिला.

Transgender Sucess Story

फोटो-सोशल मीडिया

Transgender Sucess Story: कहते हैं कि जब हौसले हों तो कामयाबी कदम चूमती है. भले ही समाज आपको नकारात्मक रूप से कुछ भी कहे लेकिन अगर मन में आपने कुछ भी करने की ठान ली है तो आप कर के ही छोड़ेंगे…इसका ताजा उदाहरण बिहार से सामने आ रहा है. यहां पर मंगलवार को बिहार पुलिस अवर सेवा आयोग ने 1275 दरोगा पद पर बहाली का परिणाम घोषित किया था जैसे ही इसका रिजल्ट सामने आया, इसके साथ ही भारत के नाम एक इतिहास भी दर्ज हो गया.

एक दो नहीं बल्कि तीन ट्रांसजेंडर बनीं दारोगा

मालूम हो कि जहां भारत के किसी भी राज्य में एक भी ट्रांसजेंडर दारोगा नहीं है तो वहीं बिहार के दारोगा भर्ती परीक्षा में पहली बार एक-दो नहीं बल्कि तीन ट्रांसजेंडर्स को एक साथ दारोगा बनने का मौका मिला है. इस तरह से बिहार देश का पहला ऐसा राज्य बन गया है जहां पर एक साथ तीन ट्रांसजेंडर दारोगा बन गए हैं.

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भागलपुर की मधु घर छोड़कर भागी थीं

बता दें कि बिहार में जो तीन ट्रांसजेंडर दरोगा बने हैं उनमें से भागलपुर की मधु का नाम भी शामिल है. वह बताती हैं कि 2014 में अपना घर छोड़कर वह भाग गई थीं, क्योंकि सामाजिक स्तर पर उनको तमाम ताने दिए जाते थे और लोग भला-बुरा कहते थे. इस तरह से उन्होंने बचपन से बहुत प्रताड़ना झेली है.

कोचिंग संस्थानों ने भी नहीं दिया दाखिला

मधु अपनी दर्द मीडिया से शेयर करते हुए कहती हैं कि मेरी वजह से परिवार वालों को तमाम तरह की बातें सुननी पड़ती थी. इससे मैं परेशान हो जाती थी. जब अंत में मुझसे ये सब नहीं सहा गया तो मैंने घर ही छोड़ दिया. वह बताती हैं कि मैट्रिक इंटर और पॉलिटिकल साइंस के साथ बीए ऑनर्स की पढ़ाई पूरी की है. वह कहती हैं कि ट्रांसजेंडरों के साथ समाज में गलत बर्ताव किया जाता है. इसी वजह से कुछ अलग करने की मन में ठानी और फिर 2022 में पटना चली आई. इस दौरान भी बहुत संघर्ष किया. मधु ने बताया कि तैयारी के लिए कोचिंग संस्थानों गई लेकिन नामांकन करने से इनकार कर दिया. मधु बोलीं कि वह बस मन में दारोगा बनने का सपना सजाएं थीं.

गुरु रहमान ने दिया साथ

मधु बताती हैं कि मैं दारोगा बनने के लिए तैयारी के तमाम रास्ते खोज ही रही थी कि गुरु रहमान मिल गए और फिर उन्होने उनके साथ ही उनके दो साथियों को पढ़ाने की ठानी और आखिरकार जब रिजल्ट आया तो बिहार में तीनों ट्रांसजेंडर सफल हुए. ये गुरु रहमान के गुरुकुल के ही शिष्य थे. मधु कहती हैं कि वह 5 से 6 घंटे तक नियमित रूप से पढ़ती थीं. मधु कहती हैं कि वह अपने समाज के लिए बहुत काम करेंगी. बता दें कि इससे पहले केरल एकमात्र ऐसा राज्य रहा है जहां पर ट्रांसजेंडर एक सिपाही के तौर पर सरकारी सेवा में काम करने का मौका मिला.

-भारत एक्सप्रेस

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