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PM मोदी को चुनाव से 6 साल के लिए अयोग्य ठहराने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका, हाईकोर्ट के फैसले को दी गई चुनौती

याचिकाकर्ता के वकील ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा एक चुनावी जनसभा को संबोधित करते समय आचार संहिता का उल्लंघन करने का आरोप लगाया है. उनके अनुसार, यह जनसभा बीते अप्रैल माह में राजस्थान के बांसवाड़ा में हुई थी.

Supreme Court

सुप्रीम कोर्ट

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को 6 साल के लिए चुनाव से अयोग्य ठहराने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है। यह याचिका फातिमा नामक महिला ने दायर की है। फातिमा ने याचिका में चुनाव आयोग को जन प्रतिनिधित्व कानून के तहत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को 6 साल के लिए चुनाव से अयोग्य घोषित करने का निर्देश देने की मांग की गई है।

पीएम मोदी पर लगाए ये आरोप

याचिकाकर्ता के वकील सुनील कुमार अग्रवाल ने प्रधानमंत्री द्वारा एक चुनावी जनसभा को संबोधित करते समय आचार संहिता का उल्लंघन करने का आरोप लगाया है। याचिकाकर्ता की माने तो 21 अप्रैल 2024 को पीएम ने लोकसभा चुनाव 2024 के लिए चुनाव प्रचार के दौरान राजस्थान के बांसवाड़ा में एक सार्वजनिक रैली को संबोधित किया था। याचिका में यह भी कहा गया है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संबोधन में ऐसे बयान दिए जिनका उद्देश्य स्पष्ट रूप से समूहों के बीच दुश्मनी पैदा करना था। याचिका में चुनाव आयोग को आदर्श आचार संहिता के मुताबिक पीएम के खिलाफ कार्रवाई करने के निर्देश देने की भी मांग की गई है।

आयोग पीएम मोदी के खिलाफ कार्रवाई करने में रहा विफल 

याचिका में कहा गया है कि विभिन्न संगठनों और कई लोगों ने चुनाव आयोग के पास शिकायते दर्ज की है। लेकिन चुनाव आयोग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ कोई प्रभावी कार्रवाई करने में विफल रहा है। याचिका में प्रधानमंत्री द्वारा दिये गए बयान को भड़काऊ और गैरकानूनी बताया गया है। याचिकाकर्ता के मुताबिक प्रधानमंत्री का संबोधन आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन है।

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दिल्ली हाइकोर्ट ने कही थी ये बात

बता दें कि दिल्ली हाइकोर्ट ने याचिका का निपटारा करते हुए चुनाव आयोग के समक्ष जाने को कहा था। दिल्ली हाइकोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि याचिकाकर्ता पहले ही मान बैठा है कि आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन हुआ है। जबकि सुप्रीम कोर्ट भी किसी भी शिकायत पर विशेष दृष्टिकोण अपनाने के लिए चुनाव आयोग को निर्देश जारी नही कर सकता। कोर्ट ने कहा था कि याचिकाकर्ता पहले ही चुनाव आयोग से संपर्क कर चुका है और आयोग उसकी शिकायत पर स्वतंत्र विचार कर सकता है। वही चुनाव आयोग की ओर से पेश अधिकारी ने कहा था कि शिकायत का संज्ञान लेकर कार्रवाई की जाएगी और इस संबंध में जरूरी आदेश पारित किया जाएगा।

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