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अजमेर शरीफ, भोजशाला, संभल मस्जिद और ज्ञानवापी समेत अन्य स्थलों पर दावों की प्रक्रिया पर रोक लगाने की SC से मांग

सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई याचिका में कहा गया है कि अदालत केंद्र और सभी राज्यों के मुख्य सचिवों को इस बावत निर्देश जारी करें और 1991 के पूजा स्थल कानून के निर्वहन सभी के द्वारा करने का आदेश दिया जाए, ताकि सुप्रीम कोर्ट में लंबित कानून से संबंधित याचिकाओं का निपटारा किया जा सके.

Supreme Court

सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो)

Supreme Court:अजमेर शरीफ दरगाह, भोजशाला, संभल जामा मस्जिद और ज्ञानवापी समेत देशभर में दाखिल दावों के मुकदमे की प्रक्रिया पर रोक लगाने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है.

संवाददाता के अनुसार, यह याचिका सुप्रीम कोर्ट के वकील नरेंद्र नाथ मिश्रा के माध्यम से आलोक शर्मा सहित अन्य ने दायर की है. याचिका पर जल्द सुनवाई की मांग को लेकर सोमवार यानी 2 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट में मेंशनिंग होगी.

‘ऐसे मामलों से देश में माहौल खराब हो रहा है’

याचिका में कहा गया कि देशभर में इलाहाबाद हाईकोर्ट के 19 दिसंबर 2023 के आदेश के बाद से धार्मिक स्थलों के चरित्र की हकीकत का पता लगाने को लेकर विभिन्न सिविल कोर्ट में दाखिल मामलों से माहौल खराब हो रहा है. जिसके मद्देनजर सुप्रीम कोर्ट मामले पर रोक लगाकर हस्तक्षेप करें.

पूजा स्थल कानून के पक्ष और खिलाफ में आ रहीं याचिकाएं

सुप्रीम कोर्ट इलाहाबाद हाईकोर्ट के पिछले साल के ज्ञानवापी मामले में दिए गए फैसले के खिलाफ अपील और 1991 में बनाए गए पूजा स्थल कानून के पक्ष और खिलाफ में दाखिल याचिकाओं पर निर्णय ले, ताकि स्थिति स्पष्ट हो. तब तक के लिए सिविल कोर्ट की ओर से आवेदनों पर जारी किए जा रहे सर्वे और अदालती कार्यवाही पर रोक लगाई जाए.

मामलों पर हाई कोर्ट, सुप्रीम कोर्ट में ही हो सुनवाई

याचिका में यह भी मांग की गई है कि सभी राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों के प्रशासन को निर्देश जारी किया जाए कि शांति और सद्भाव कायम रखने के लिए ऐसे मामलों में सिविल कोर्ट के आदेश अनुपालन में जल्दबाजी ना करें. बल्कि हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के समक्ष मामला लाए ताकि माहौल खराब न हो.

याचिका में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट मामले में हस्तक्षेप करके केंद्र और सभी राज्यों के मुख्य सचिवों को इस बावत निर्देश जारी करें और 1991 के पूजा स्थल कानून के निर्वहन सभी के द्वारा करने का आदेश दिया जाए., ताकि इस दौरान सुप्रीम कोर्ट में लंबित इस कानून से संबंधित याचिकाओं का निपटारा किया जा सके.

  • भारत एक्सप्रेस


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