दिल्ली हाई कोर्ट
गिरफ्तार नेताओं को लोकसभा चुनावों में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए प्रचार करने की अनुमति देने की मांग वाली याचिका को दिल्ली हाइकोर्ट ने खारिज कर दिया है. बुधवार (1 मई) को कोर्ट ने कहा यह याचिका कानून के बुनियादी सिद्धांतों के खिलाफ है. कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि यह याचिका अत्यधिक साहसिक याचिका है. यह कानून के मूल सिद्धांतों के विपरीत है.
हमें भी राजनीतिक झगड़ों में घसीटा जा रहा है- कोर्ट
हाइकोर्ट ने यह भी टिप्पणी की कि यह याचिका दुष्प्रचार के लिए दाखिल की गई है. कोर्ट ने कहा हम राजनीति से दूर रहना चाहते हैं. हमें भी राजनीतिक झगड़ों में घसीटा जा रहा है. इस बात को समझिए कि अदालतें अपने विवेक का इस्तेमाल कर कानून के हिसाब से आदेश पारित करती हैं. कोर्ट ने कहा यह एक रणनीति का हिस्सा बन रहा है और ऐसा मत सोचिए कि हम रणनीति को नहीं समझते हैं. यह याचिका लॉ के अंतिम वर्ष के छात्र अमरजीत गुप्ता की ओर से दायर की गई थी.
VC के जरिए प्रचार की अनुमति मांगी गई थी
याचिका में कहा गया था कि चुनाव आयोग को यह सुनिश्चित करने के लिए एक तंत्र विकसित करने का निर्देश दिया जाए कि गिरफ्तार राजनीतिक नेताओं को आगामी लोकसभा चुनाव 2024 के लिए वीसी के माध्यम से प्रचार करने की अनुमति दे. याचिका में यह भी निर्देश देने की मांग की गई थी कि वह किसी राजनीतिक नेता या उम्मीदवार की गिरफ्तारी के बारे में तुरंत भारत के चुनाव आयोग को जानकारी दे. याचिका में कहा गया था कि राजनीतिक दलों के नेता चुनाव के दौरान प्रचार करने के अपने संवैधानिक रूप से गारंटीकृत मौलिक और कानूनी अधिकार से भी वंचित हैं.
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याचिकाकर्ता ने कहा था कि उन्होंने अधिकारियों को एक अभ्यावेदन भेजा है, लेकिन उसका जवाब नहीं दिया गया है. याचिकाकर्ता चुनाव आयोग द्वारा आदर्श आचार संहिता की घोषणा के बाद राजनेताओं खासकर आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी के समय से परेशान है.
-भारत एक्सप्रेस
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