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Cyber Crime: साइबर क्राइम के मामले में ‘जामताड़ा’ से भी आगे निकले मेवात के ठग, पुलिस हुई पस्त

विश्वसनीय सूत्रों के अनुसार, लगभग 300-400 लोगों को रोजाना ठगा जाता है और प्रत्येक जालसाज प्रतिदिन 3,000 रुपये तक कमाता है.

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प्रतीकात्मक तस्वीर

Cyber Crime: जामताड़ा के बाद तीन राज्यों हरियाणा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में फैला मेवात क्षेत्र साइबर घोटाले का नया ग्राउंड जीरो है. सैटेलाइट कस्बों और गांवों में असहाय सेलफोन मालिक अनगिनत घोटालों का शिकार हो रहे हैं. जामताड़ा साइबर ठगों से एक कदम आगे बढ़ते हुए मेवात क्षेत्र के घोटालेबाजों ने पुलिस की नींद उड़ा रखी है.

सेक्सटॉर्शन यानि सेक्स या न्यूड फोटो के जरिए ब्लैकमेलिंग उनका एक हथियार है. वे पीड़ितों को उनकी मॉफ्र्ड तस्वीरें और वीडियो ऑनलाइन अपलोड करने की धमकी देकर और उन्हें ब्लैकमेल कर उनसे पैसे ऐंठने में माहिर हैं. एक स्कैमर को पकड़ने से समस्या खत्म नहीं होती है, क्योंकि उसके बदले 10 अन्य सामने आ जाते हैं, जिन्हें मेवात के गांवों में ट्रेंनिंग भी दी जाती है.

बस एक फोन और सिम की होती है जरुरत

अब, स्कैमर्स के तौर-तरीके इस क्षेत्र के युवाओं के बीच इतने लोकप्रिय हैं कि यह मुख्य रूप से एक क्राइम रैकेट बन गया है. यह एक ऐसा रैकेट है, जिसमें लीडर की जरुरत नहीं होती. इसमें कोई सरगना नहीं होता और घोटाले और ब्लैकमेल करने के लिए बस एक स्मार्टफोन और एक सिम की जरूरत होती है.

दिल्ली पुलिस रख रही है नजर

घोटालों के कई मामले सामने आने के बाद दिल्ली पुलिस अब मेवात क्षेत्र से संचालित होने वाले युवा स्कैमर्स पर भी नजर रख रही है. केवल सेक्सटॉर्शन ही नहीं, मेवात स्कैमर्स लोगों को ओएलएक्स के माध्यम से भी लुभाते हैं, जिसमें वे ऑनलाइन मार्केटप्लेस पर संपत्ति बेचने का नाटक करते हैं और ठगी को अंजाम देते हैं. इन स्कैमर्स ने भाजपा की सांसद प्रज्ञा ठाकुर और शिवसेना के एक विधायक को भी नहीं बख्शा है.

घोटालों में ट्रक डाइवर भी शामिल

कोलकाता के फिशिंग इंडस्ट्री के विपरीत, जिसमें कार्यालय भवन और कॉल सेंटर हैं, मेवात घोटाला एक असंरचित कुटीर उद्योग है. मेवात गैंग की कार्यप्रणाली काफी अलग है. घोटाले करने वालों में ट्रक ड्राइवर भी शामिल हैं, जो क्षेत्र के मूल निवासी हैं. एक पुलिस अधिकारी ने कहा, ट्रक चालक नकली सिम कार्ड का उपयोग कर गैर-विवरण वाले राजमार्गों से संदिग्ध कॉल करते हैं.

दिल्ली हाई कोर्ट भी है नाराज

हाल ही में, दिल्ली हाई कोर्ट ने भी कहा कि यह देखकर दुख होता है कि लोगों को इस बात की जानकारी नहीं है कि एक बार जब वे अपने मोबाइल फोन पर डाउनलोड किए गए ऐप को अपने कॉन्टेस्ट्स और इमेज तक पहुंच प्रदान करते हैं, तो डेवलपर अपराधी होने की स्थिति में इमेज का गलत इस्तेमाल करता है, उन्हें मॉर्फ करता है और उन्हें अपने सोशल कॉन्टेस्ट्स को अनुचित रूप में भेजता है, और उसके बाद ब्लैकमेल करता है. कई लोगों के मोबाइल में संग्रहीत तस्वीरों को मॉर्फ कर उन्हें उनके रिश्तेदारों को भेजकर उनसे लाखों रुपये वसूलने के आरोपी एक व्यक्ति की जमानत याचिका को खारिज करते हुए कोर्ट ने यह टिप्पणी की.

न्यायमूर्ति स्वर्ण कांता शर्मा ने कहा, यदि ऐसे अपराधियों के साथ सख्ती नहीं बरती जाती है और उन्हें जमानत पर रिहा कर दिया जाता है, तो यह समाज को गलत संदेश दे सकता है कि इस तरह के अपराध किए जा सकते हैं और कोई इनसे आसानी से बच सकता है.

300 से 400 लोगों के साथ रोज होती है ठगी

साइबर ठग इंग्लिश में सिर्फ पांच या छह लाइन ही सीखते हैं, ताकि लोग उनपर आसानी से भरोसा कर सके. विश्वसनीय सूत्रों के अनुसार, लगभग 300-400 लोगों को रोजाना ठगा जाता है और प्रत्येक जालसाज प्रतिदिन 3,000 रुपये तक कमाता है. तीनों जिले मिलकर 150 गांवों तक फैल गए हैं, जहां 8,000 से अधिक साइबर अपराध दर्ज हैं, लोगों से लगभग 1.6 से 2.4 करोड़ रुपये लूटे गए हैं.

लोगों को ऐसे लुभाते हैं ठग

मेवात क्षेत्र के जुरेहरा गांव में हाल ही में रिहा हुए एक आरोपी अमजद (34) ने कहा कि ओएलएक्स पर पीड़ितों को लुभाने के लिए आमतौर पर वे कुछ रक्षा कर्मियों की नकली पहचान का उपयोग करने का विकल्प चुनते हैं और संकट के बारे में एक विश्वसनीय, लेकिन मनगढ़ंत कहानी गढ़ते हैं. अमजद ने कहा, बाइक, मोबाइल फोन बेचने के लिए ओएलएक्स पर ऐड दिया जाता है लेकिन इनकी कीमत इतनी कम होती है कि लोगों को आसानी से लुभाया जा सकता है. उन्होंने कहा, आमने-सामने की बातचीत से बचने के लिए स्कैमर्स पीड़ित के स्थान से लगभग 300 किमी दूर अपना स्थान बताते हैं.

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अगला कदम पीड़ित को एक रक्षा कर्मी होने का आभास देकर फुसलाना है, विनम्रता से बात करना और उन्हें यह बताना है कि विश्वास हासिल करने के लिए फोन को कोरियर किया जाएगा और कोरियर चार्ज सहित अग्रिम पैसे का भुगतान करने के लिए कहकर उन्हें धोखा दिया जाता है.

–आईएएनएस

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