
Hindi Language Controversy: आंध्र प्रदेश के उपमुख्यमंत्री और जन सेना पार्टी के मुखिया पवन कल्याण ने हिंदी भाषा को लेकर ऐसा बयान दे दिया कि पूरे देश में हंगामा मच गया. उनके इस बयान से न सिर्फ विपक्षी नेता बल्कि सोशल मीडिया यूजर्स और मशहूर अभिनेता-राजनेता प्रकाश राज भी आगबबूला हो गए. प्रकाश राज ने X पर अपनी भड़ास निकालते हुए पवन कल्याण पर हिंदी को दूसरों पर थोपने का इल्जाम लगा डाला.
“ గెలవక ముందు “జనసేనాని”, గెలిచిన తరువాత “భజన సేనాని” … అంతేనా #justasking pic.twitter.com/EqjtqK6qFA
— Prakash Raj (@prakashraaj) March 15, 2025
प्रकाश राज ने लिखा, “हम पर अपनी हिंदी भाषा मत लादो. यह किसी भाषा से नफरत की बात नहीं है, बल्कि अपनी मातृभाषा और सांस्कृतिक पहचान को सम्मान के साथ बचाने की जंग है. कोई पवन कल्याण जी को यह बात समझा दे!”
क्या कहा था पवन कल्याण ने?
यह पूरा बवाल शुरू हुआ जन सेना पार्टी के 12वें स्थापना दिवस के मौके पर, जब पवन कल्याण ने काकीनाडा के पीथापुरम में एक सभा को संबोधित किया. उन्होंने तमिलनाडु के नेताओं पर निशाना साधते हुए कहा कि वे हिंदी थोपने के नाम पर “दोहरा खेल” खेल रहे हैं.
पवन ने तंज कसा, “तमिलनाडु के नेता हिंदी का विरोध करते हैं, लेकिन अपनी तमिल फिल्मों को हिंदी में डब करके बॉलीवुड से मोटा मुनाफा कमाते हैं. यह कैसा विरोध है? पैसा चाहिए, लेकिन हिंदी नहीं चाहिए-क्या तर्क है ये?”
उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि कुछ लोग संस्कृत की आलोचना क्यों करते हैं. पवन का यह बयान तमिलनाडु में राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 की त्रि-भाषा नीति से जुड़े पुराने विवाद को फिर से हवा दे गया.
तमिलनाडु में भड़का सियासी तूफान
तमिलनाडु में हिंदी थोपने का मुद्दा हमेशा से संवेदनशील रहा है. पवन के बयान ने वहां की सियासत को और गरमा दिया. विपक्षी दल एआईएडीएमके ने डीएमके सरकार और पवन कल्याण, दोनों पर हमला बोला. एआईएडीएमके के प्रवक्ता कोवई सत्यान ने कहा, “डीएमके ने एनईपी को सियासी हथियार बना लिया है, वहीं पवन कल्याण तमिलनाडु की संस्कृति को व्यापार से जोड़ रहे हैं.”
उन्होंने आगे कहा, “हम एनईपी को हिंदी के लिए छिपा रास्ता मानते हैं, जो धीरे-धीरे तमिलनाडु पर हावी हो सकता है. केंद्र सरकार पहले ही ऐसा करने की कोशिश कर चुकी है.”
पवन के समर्थन में उतरा विश्व हिंदू परिषद
इस बीच, विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) ने पवन कल्याण का साथ दिया. वीएचपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता विनोद बंसल ने कहा, “तमिलनाडु सरकार संविधान की शपथ लेने के बाद भी राष्ट्रीय प्रतीकों का विरोध कर रही है. यह सिर्फ प्रतीकों का नहीं, बल्कि देश की प्रतिभा का भी अपमान है.”
बंसल ने हिंदी विरोध को “देश को उत्तर-दक्षिण में बांटने की साजिश” करार दिया और दावा किया कि तमिलनाडु के लोग ऐसे नेताओं को खुद ठुकरा देंगे.
भाषा, संस्कृति और एकता का टकराव
पवन कल्याण का यह बयान भारत की भाषाई विविधता और एकता के बीच के नाजुक संतुलन को फिर से चर्चा में ले आया. एक तरफ पवन ने बहुभाषिकता को देश की ताकत बताया, तो दूसरी तरफ तमिल फिल्मों के हिंदी डबिंग पर उनके सवाल ने लोगों की भावनाओं को भड़का दिया. प्रकाश राज जैसे लोग इसे सांस्कृतिक सम्मान की लड़ाई मानते हैं, वहीं वीएचपी इसे राष्ट्रीय एकता पर हमला कह रहा है.
आगे क्या?
पवन कल्याण के इस बयान ने हिंदी थोपने, एनईपी 2020 और क्षेत्रीय पहचान जैसे मुद्दों को फिर से सुर्खियों में ला दिया है. यह विवाद अब सिर्फ आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु तक सीमित नहीं रहा, बल्कि पूरे देश में बहस का रूप ले चुका है. क्या यह सियासी खेल और गहराएगा या शांत हो जाएगा, यह आने वाला वक्त ही बताएगा.
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-भारत एक्सप्रेस
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