सांकेतिक फोटो-सोशल मीडिया
UP News: उत्तर प्रदेश में लगातार मुस्लिम धर्मगुरु ऐसी शादी में निकाह पढ़ाने से लगातार बहिष्कार कर रहे हैं, जिसमें डीजे बजाया जा रहा है. ताजा मामला कानपुर देहात से सामने आया है. यहां पर मुस्लिम धर्मगुरुओं ने मुसलमानों की शादियों के लिए फरमान जारी करते हुए स्पष्ट कर दिया है कि, निकाह में बैंड, बाजा और DJ अगर हुआ तो वह निकाह नहीं कराएंगे. मुस्लिम धर्मगुरुओं के इस फरमान की खूब चर्चा हो रही है तो वहीं कोई इसे गलत और कोई सही ठहरा रहा है. तो दूसरी ओर इस फतवे को लेकर मुस्लिम धर्मगुरुओं ने तर्क दिया है और कहा है कि फतवा जारी करने के पीछे की वजह फिजूलखर्ची से बचाव करना है.
बता दें कि यूपी में लगातार इस तरह के मामले सामने आ रहे हैं, जहां पर डीजे होने के कारण मौलाना निकाह पढ़ाने से इंकार कर दे रहे हैं. हाल ही में ऐसा मामला अमेठी से सामने आया था, जिसमें बारातियों द्वारा डीजे पर डांस करने के कारण मौलाना ने निकाह पढ़ाने से मना कर दिया था और फिर दुल्हन को बिना निकाह पढ़ाए ही दूल्हा पक्ष ससुराल ले गया था. इस पर मौलाना अब्दुल बासिद ने दावा करते हुए कहा था कि उन्होंने इस सम्बंध में दोनों पक्षों को बताया था कि निकाह के दौरान डीजे नहीं बजाया जाएगा. इसी के साथ उन्होंने ये भी कहा था कि डीजे बजाने से शरीयत का मजाक होता है. तो वहीं ताजा खबर कानपुर देहात से सामने आया है, जहां कानपुर देहात के राजपुर जामा मस्जिद के इमाम अनीस उर रहमान, नूरी मस्जिद के इमाम मौलाना सैयद अली ने धर्मगुरुओं की बैठक में कहा कि काजी उस शादी में निकाह न पढ़ाएं, जहां पर डीजे बजता है. अनीस उर रहमान ने कहा कि जो इस्लाम में जायज नहीं है, उसे रोका जा रहा है. भलाई के लिए ये फैसला लिया गया है.
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बुलंदशहर में भी जारी हो चुका है फरमान
तो वहीं हाल ही में बुलंदशहर में भी मौलाना ने डीजे वाली शादी में निकाह न कराने की बात कही थी. जिले के मौलवियों ने घोषणा की थी कि अगर शादियों में गाना-बजाना और नाच-गाना होगा, तो वो निकाह नहीं करवाएंगे. उलेमाओं और मौलवियों की एक सभा को संबोधित करने के बाद काजी-ए-शहर मौलाना आरिफ काजमी ने कहा था कि अगर शादी में डीजे, गाना और नाच होता है, तो हम निकाह नहीं करवाएंगे. इस सम्बंध में काजी-ए-शहर मौलाना आरिफ काजमी ने कहा था कि शादियों में गाना और नाचना इस्लामी संस्कृति का हिस्सा नहीं है और इसमें काफी पैसा भी खर्च होता है. उलेमा मुस्लिम समाज को सामाजिक बुराइयों से मुक्त करना चाहते हैं और यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि लड़की पक्ष को अतिरिक्त वित्तीय बोझ न उठाना पड़े. इसी के साथ यहां पर तय हुआ था कि अगर शादी में डीजे बजेगा और नाच-गाना होगा तो काजी निकाह नहीं पढ़वाएंगे. इससे पहले भी ऐसा ही कुछ रामपुर में उलेमाओं ने इस मसले को लेकर बैठक की थी और इस पर फैसला लिया गया था.
-भारत एक्सप्रेस