राहुल गांधी (फोटो- IANS)
लोकसभा सांसद और कांग्रेस नेता राहुल गांधी आज हरियाणा में चुनाव प्रचार करेंगे. वो असंध और बरवाला में चुनावी रैलियों को संबोधित करेंगे. राहुल गांधी की इस रैली के बाद पार्टी में एकजुटता दिखने की उम्मीद है, क्योंकि केंद्रीय नेतृत्व ने विरोधी नेताओं के बीच असहज शांति स्थापित करने में कामयाबी हासिल की है. चुनाव कैंपेन से दूर रहने वाली कुमारी शैलजा, रणदीप सुरजेवाला और हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा के साथ राहुल गांधी की रैली में शामिल होंगी. चुनाव प्रबंधकों ने संकेत दिया है कि गुटबाजी की वजह से कैडर और चुनाव प्रचार प्रभावित हो रहा है.
कांग्रेस नेताओं के बीच यह अस्थायी समझौता रविवार को कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे से उनकी शिकायतों को सुनने के बाद हुआ. शैलजा ने चुनावी अभियान को फिर से शुरू करने की घोषणा की है, लेकिन हुड्डा के प्रति अपनी नाराजगी को सार्वजनिक रूप से व्यक्त भी किया है. बुधवार को उन्होंने ‘एक्स’ पर अपनी अभियान योजनाएं पोस्ट कीं, जिसमें राहुल गांधी की रैली समेत टोहाना और हिसार में तीन अन्य सार्वजनिक बैठकें शामिल हैं. उम्मीद है कि राहुल गांधी अगले तीन दिनों तक हरियाणा में प्रचार करेंगे.
हरियाणा में कांग्रेस के स्टार प्रचारक राहुल गांधी और पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा की अनुपस्थिति को लेकर उठ रहे सवालों के बीच, पार्टी के एक वर्ग ने दावा किया कि उन्होंने अपने शीर्ष नेताओं को अंतिम प्रयास के लिए रोक रखा है, लेकिन सूत्रों ने संकेत दिया कि राहुल गांधी चुनाव प्रबंधन के तरीके से नाराज थे. चुनाव के मद्देनजर कांग्रेस की ओर से 18 सितंबर को हरियाणा के लिए सात गारंटियों की लॉन्चिंग के दौरान भी राहुल गांधी मौजूद नहीं थे. इस दौरान वह राष्ट्रीय राजधानी में थे. सूत्रों का कहना है कि वह घोषणापत्र तैयार करने के तरीके से नाखुश हैं.
उनका मानना था कि राज्य के नेताओं ने अपनी मर्जी से औपचारिक लॉन्च से पहले गारंटियों की घोषणा कर दी. गारंटियों की घोषणा करने के दौरान राहुल गांधी की अनुपस्थिति का कोई कारण नहीं बताया गया था. राहुल गांधी उम्मीदवारों के चयन के बाद गुटबाजी को लेकर भी नाराज बताए गए, जिसमें शैलजा की लगभग दो सप्ताह तक प्रचार से दूरी और सुरजेवाला को कुछ ही इलाकों तक सीमित रखने का निर्णय शामिल था.
इस महीने की शुरुआत में अमेरिका रवाना होने से पहले उन्होंने केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक फिर से बुलाने को कहा था. समिति शैलजा और सुरजेवाला की चिंताओं का समाधान करने का तरीका लगभग ढूंढ चुकी थी. वह हुड्डा खेमे की इस बात से भी नाराज थे कि वह उदार नहीं रहे और सबको साथ लेकर चलने में यकीन नहीं रख रहे.
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-भारत एक्सप्रेस