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Rajasthan: राजस्थान में ‘राइट टू हेल्थ’ बिल के पास होने के बाद प्राइवेट डॉक्टर्स और सरकार के बीच अब सहमति बन गई है. प्रदेश में 18 मार्च से प्राइवेट डॉक्टर्स धरना प्रदर्शन कर रहे थे. हालांकि अब ये धरना खत्म हो गया है. राइट टू हेल्थ बिल (Right to Health Bill) को लेकर सरकार और डॉक्टर्स के बीच 10 घंटे चली दो चरणों की बातचीत के बाद आखिरकार यह गतिरोध टूट गया है, सरकार ने डॉक्टर्स की सारी शर्तें मान ली है. बता दें कि बिल के पास से पहले भी प्रदेश में विपक्षी पार्टी बीजेपी ने इसका विरोध किया था. वहीं प्रदेश के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी ट्वीट कर जानकारी दी है कि अब निजी अस्पतालों के साथ सहमति बन गई है.
बता दें कि विपक्ष के भारी विरोध के बीच गहलोत सरकार ने राइट टू हेल्थ बिल (Right to Health Bill) को विधानसभा में पास करा दिया था. अब लोगों को निजी अस्पताल में भी फ्री इलाज कराने की सुविधा मिलेगी. इस बिल को सदन में पास कराने वाला राजस्थान भारत में पहला राज्य बन गया है.
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने ट्वीट कर बताया कि “मुझे प्रसन्नता है कि राइट टू हेल्थ पर सरकार और डॉक्टर्स के बीच सहमति बन गई है और राजस्थान अब राइट टू हेल्थ लागू करने वाला देश का पहला राज्य बना है. मुझे आशा है कि आगे भी डॉक्टर-पेशेंट रिलेशनशिप पूर्ववत यथावत रहेगी.”
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राजस्थान में ‘राइट टू हेल्थ’ सरकार का महत्वाकांक्षी बिल है, जिसके तहत राज्य के किसी भी मरीज के पास पैसे नहीं होने पर उसका इलाज किसी भी अस्पताल (सरकारी और निजी) मुफ्त में किया जाएगा और इससे इनकार नहीं किया जा सकता है.
हालांकि इस बिल के पास होने के बाद प्राइवेट डॉक्टरों ने इसका विरोध किया था. उनका कहना था कि इस कानून की वजह से उनके कामकाज में नौकरशाही का दखल बढ़ेगा. उन्होंने कहा इमरजेंसी कब और कैसे तय की जाएगी इसका कोई दायरा तय नहीं किया गया है. ऐसे में कोई भी मरीज अपनी बीमारी को इमरजेंसी बताकर मुफ्त में इलाज करवा सकता है. वहीं डॉक्टर ने बताया कि हम भी मरीजों द्वारा “शोषण” से डरते हैं. “एक निजी क्लिनिक सुबह 9 बजे से रात 10 बजे तक चलता है. अगर किसी मरीज को रात 12 बजे इमरजेंसी (सरदर्द जैसी आपात स्थिति) होती है, तो रोगी क्लिनिक में स्थिति के बावजूद इलाज की मांग कर सकता है. इसलिए संभावना है बिल के कारण डॉक्टरों का शोषण होगा.”
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