संघ प्रमुख मोहन भागवत.
RSS Chief Mohan Bhagwat on Ram mandir Inauguration: राम मंदिर की प्रतिष्ठा से पहले आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने विशेष अपील की है. उन्होंने कड़वाहट भुलाकर संघर्ष को खत्म करने का आह्वान किया है. उन्होंने कहा कि सभी को साथ आकर राष्ट्र निर्माण में जुट जाना चाहिए. भागवत ने राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा को लेकर एक आलेख लिखा है. जिसमें उन्होंने कहा कि मंदिर को लेकर पक्ष और विपक्ष में जो विवाद शुरू हुआ उसे खत्म कर देना चाहिए. समाज के प्रबुद्ध लोगों को सोचना होगा विवाद खत्म करने की पहल करनी चाहिए. उन्हें आगे आकर यह बीड़ा उठाना होगा.
इस्लाम के नाम पर आक्रमण कई बार हुए
संघ प्रमुख ने कहा कि अयोध्या की पहचान ऐसे नगर से हो जहां कोई युद्ध और संघर्ष नहीं हो. उन्होंने कहा कि भारत का इतिहास डेढ़ हजार वर्षों से आक्रांताओं से निरंतर संघर्ष का है. शुरुआती आक्रमणों का उद्देश्य केवल लूटपाट करना होता था. लेकिन इसके बाद इस्लाम के नाम पर हुए आक्रमणों के समाज में वैमनस्य और अलगाव की स्थिति उत्पन्न हुई. इस्लाम के नाम पर देश आए आक्रमणकारियों ने भारत के मंदिरों को नष्ट कर दिया. ऐसा उन्होंने अनेकों बार किया.
तुष्टिकरण के चलते नहीं हो पाया मंदिर का निर्माण
मोहन भागवत ने कहा कि 1947 में आजादी मिलने के बाद सोमनाथ मंदिर को पुनः नए सिरे से बनाना शुरू किया. रामजन्मभूमि की मुक्ति के संबंध में विचार किया जा सकता था लेकिन सरकारों की संकीर्ण सोच और तुष्टिकरण की राजनीति के चलते ऐसा संभव नहीं हो पाया. इसके बाद 1980 में राम जन्मभूमि की मुक्ति के लिए आंदोलन शुरू हुआ जोकि 30 वर्षों तक जारी रहा. 1949 में राम जन्मभूमि पर भगवान श्रीरामचंद्र की मूर्ति की प्राकट्य हुआ. 1986 में अदालत ने मंदिर का ताला खोल दिया.
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134 वर्षों की कानूनी लड़ाई के बाद मिली सफलता
इसके बाद कारसेवकों पर 1990 में गोलियां चलाई गईं. 2010 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राम मंदिर के पक्ष में फैसला सुनाया. 9 नवंबर 2019 को 134 वर्षों के कानूनी संघर्ष के बाद सुप्रीम कोर्ट ने संतुलित निर्णय दिया. इसके बाद मंदिर का भूमिपूजन 5 अगस्त 2020 को हुआ और अब 22 जनवरी 2024 को रामलला की मूर्ति स्थापना और प्राण प्रतिष्ठा समारोह का आयोजन किया गया है.
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