अरुण रामचंद्रन पिल्लई (फाइल फोटो).
Delhi Excise Policy: हैदराबाद के व्यवसायी अरुण रामचंद्रन पिल्लई को सुप्रीम कोर्ट से फिलहाल राहत मिल गई है. सुप्रीम कोर्ट ने पिल्लई को दी गई अंतरिम जमानत की अवधि को 2 सप्ताह के लिए बढ़ा दिया है. इस साल मार्च में पिल्लई की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा था कि याचिकाकर्ता 18 महीने से जेल में है और उसे पांच अंतरिम जमानत दे दिया था. उसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने कई मौके पर बोइनपल्ली को दी गई अंतरिम जमानत को बढ़ाया है.
बोइनपल्ली को पासपोर्ट सरेंडर करना पड़ा था
अंतरिम जमानत पर रिहा होने की शर्त के तौर पर बोइनपल्ली को पासपोर्ट सरेंडर करना पड़ा था. इससे पहले पिल्लई को निचली अदालत और हाई कोर्ट से चिकित्सीय आधार पर अंतरिम जमानत मिल चुकी है. लेकिन, हाई कोर्ट ने पिल्लई की अंतरिम जमानत की अवधि को बढ़ाने से इनकार कर दिया था, जिसके बाद पिल्लई ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे रखी है.
हाई कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि पिल्लई की पत्नी को पीआरपी इंजेक्शन दिए जाने का संकेत देने वाले मेडिकल रिकॉर्ड की समीक्षा करने के बाद अंतरिम जमानत को आगे बढ़ाने का कोई आधार नहीं पाया. चिकित्सा स्थिति पर ध्यान देते हुए, अदालत ने कहा था कि पिल्लई 18 दिसंबर 2023 से अंतरिम जमानत पर थे, जिसके चलते उन्हें पिछले आदेश के अनुसार 24 जनवरी को आत्मसमर्पण करने का निर्देश दिया था.
मनी लॉन्ड्रिंग का मामला
ईडी ने दावा किया कि पिल्लई भारत राष्ट्र समिति की नेता के कविता और साऊथ ग्रुप शराब कार्टेल के मुखिया के करीबी सहयोगी हैं. ईडी का मनी लॉन्ड्रिंग का मामला सीबीआई की एफआईआर से उपजा है. सीबीआई और ईडी के मुताबिक वर्ष 2021-22 के लिए आबकारी नीति को संशोधित करते समय अनियमितताएं की गई, और लाइसेंस धारकों का अनुचित लाभ पहुंचाया गया. दिल्ली सरकार ने 17 नवंबर 2021 को आबकारी नीति लागू की थी, लेकिन भ्रष्टाचार के आरोपों के बीच सितंबर 2022 के अंत मे इसे खत्म कर दिया गया.
-भारत एक्सप्रेस
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