एंटी-बायोटिक दवा पर हुई रिसर्च.
अगर आप भी एंटी-बायोटिक दवाओं का इस्तेमाल करते हैं तो सावधान हो जाइये. हाल ही में लैंसेट पत्रिका में प्रकाशित एक रिसर्च ने पूरी दुनिया को डरा दिया है. इस रिसर्च में कहा गया है कि 2050 तक दुनिया में करीब 3.90 करोड़ लोगों की एंटी-बायोटिक दवाओं के प्रतिरोध की वजह से मौत हो सकती है.
31 साल के आंकड़ों का विश्लेषण
इस रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि इसका सबसे ज्यादा असर बुजुर्गों पर हो सकता है. इस रिपोर्ट के आने के बाद पूरी दुनिया में हड़कंप मच गया है. शोधकर्ताओं ने साल 1990 से 2021 के बीच करीब 31 साल के आंकड़ों का विश्लेषण करने के बाद यह अनुमान लगाया है. यूके में ग्लोबल रिसर्च ऑन एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस (GRAM) प्रोजेक्ट के तहत ये रिसर्च की गई है.
कैसे हुई रिसर्च?
इस रिसर्च के दौरान दुनिया के 204 देशों के करीब 52 करोड़ अस्पतालों के डिस्चार्ज रिकॉर्ड्स, डेथ सर्टिफिकेट, इंश्योरेंस क्लेम्स जैसे डेटा का विश्लेषण किया गया है.
क्या है एंटी-बायोटिक दवा?
बता दें कि एंटी-बायोटिक दवाओं का काम हमारे शरीर में विकसित हुए बैक्टीरिया को खत्म करना होता है, लेकिन अगर इसका इस्तेमाल सही से नहीं किया गया तो बैक्टीरिया पर इसका असर कम होने की आशंका रहती है. जिससे एंटी-बायोटिक दवाएं हमारे शरीर को बैक्टीरिया के हमलों से बचाने में नाकाम हो सकती हैं.
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वहीं एंटी-बायोटिक्स रेजिस्टेंस की वजह से भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश सहित दक्षिण एशिया में साल 2050 तक करीब 1.18 करोड़ लोग की मौत हो सकती है. इसके साथ ही पूर्वी एशिया और उप-सहारा अफ्रीका के अन्य हिस्सों में भी इसका असर होगा. जिसकी वजह से मौतें हो सकती हैं.
-भारत एक्सप्रेस