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Sammed ShikharJi: सम्मेद शिखर पर क्यों मचा है संग्राम? 10 दिन से अनशन पर बैठे जैन संत का निधन, मुंबई में जैन समाज की महारैली

Sammed ShikharJi: सम्मेद शिखर को पर्यटन स्थल बनाने के खिलाफ जैन समाज का प्रदर्शन जारी है. बुधवार को मुंबई के आजाद मैदान में जैन समाज की महारैली होगी.

Jain protest

जैन समाज का विरोध प्रदर्शन (फोटो-IANS)

Shree Sammed ShikharJi: झारखंड में जैन तीर्थ स्थल श्री सम्मेद शिखर जी को पर्यटन स्थल बनाने का विरोध कर रहे जैन संत सुग्येसागर महाराज का मंगलवार को निधन हो गया. वह झारखंड सरकार के फैसले के खिलाफ पिछले 10 दिनों से अनशन कर रहे थे. सुग्येसागर महाराज 72 वर्ष के थे. झारखंड सरकार के फैसले के बाद वे 25 दिसंबर से सांगानेर में अनशन पर थे. उनकी अंतिम यात्रा में बड़ी संख्या में जैन समाज के लोग मौजूद रहे. जैन मुनि को जयपुर के सांगानेर में समाधि दी गई.

सम्मेद शिखर को पर्यटन स्थल बनाने के खिलाफ जैन समाज का प्रदर्शन जारी है. बुधवार को मुंबई के आजाद मैदान में जैन समाज की महारैली होगी. इस रैली की शुरुआत मुंबई मेट्रो सिनेमा से होगी और आजाद मैदान में सभा के साथ इसकी समाप्त होगी.

क्यों मचा है बवाल

देशभर में जैन समुदाय के लोग सम्मेद शिखर को पर्यटन स्थल बनाने का विरोध कर रहे हैं. सम्मेद शिखर झारखंड के गिरिडीह जिले का एक तीर्थ स्थल है, जो पारसनाथ पहाड़ी पर स्थित है. सम्मेद शिखर को दिगंबर और श्वेतांबर दोनों संप्रदायों द्वारा सबसे महत्वपूर्ण जैन तीर्थ (तीर्थस्थल) माना जाता है.

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पारसनाथ पहाड़ी सम्मेद शिखर और उसकी तराई में स्थित मधुवन को पर्यटन स्थल घोषित करने की अधिसूचना वापस लेने की मांग पर रांची में जैन समाज के लोगों ने मंगलवार को विशाल मौन जुलूस के साथ राजभवन मार्च किया. जैन समाज ने राज्यपाल रमेश बैस को अपनी भावनाओं से अवगत कराते हुए एक ज्ञापन सौंपा.

इसमें कहा गया है कि जैनियों के इस तीर्थस्थल को पर्यटन स्थल बनाने से यहां की पवित्रता भंग होगी. देश-विदेश के जैन धर्मावलंबी चाहते हैं कि इसे तीर्थस्थल ही बनाए रखा जाए. मौन जुलूस रांची के अपर बाजार स्थित जैन मंदिर से निकलकर लगभग दो किलोमीटर दूर राजभवन तक पहुंचा। इसमें बड़ी संख्या में स्त्री-पुरुष शामिल रहे.

सकल जैन समाज ने राहुल गांधी से भी अपील की और कहा कि श्री सम्मेद शिखर सिद्ध क्षेत्र को धार्मिक पवित्र स्थल घोषित कराएं. जैन समाज के शरद जैन ने कहा कि कोई भी धर्म स्थल चाहे वह गुरुद्वारा, मंदिर, मस्जिद हो, वहां पर कोई भी जूते चप्पल लेकर नहीं जाता है.

-भारत एक्सप्रेस

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