दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सौरभ भारद्वाज
दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सौरभ भारद्वाज ने मंगलवार को कहा कि केंद्र को कोविशील्ड टीके के कथित दुष्प्रभावों से जुड़ी चिंताओं को तुरंत दूर करना चाहिए क्योंकि भारत में करोड़ों लोगों को कोविड महामारी के दौरान यह टीका लगाया गया था. भारद्वाज ने इस टीके के दुष्प्रभाव और भारत में सिलसिलेवार रूप से अचानक कई मौतें होने के बीच कथित संबंध को लेकर चिंता जताई. उन्होंने दावा किया कि कोविशील्ड के सुरक्षित होने संबंधी आशंकाओं के चलते यह टीका जर्मनी, फ्रांस, स्पेन, फिनलैंड, नार्वे और डेनमार्क सहित कई यूरोपीय देशों में शुरू से ही प्रतिबंधित है.
फार्मास्युटिकल कंपनी एस्ट्राजेनेका ने किया स्वीकार
ब्रिटेन स्थित फार्मास्युटिकल कंपनी एस्ट्राजेनेका ने स्वीकार किया है कि इसका कोविड टीका रक्त के थक्के जमाने संबंधी दुष्प्रभाव उत्पन्न कर सकता है,लेकिन इनके बीच कोई संबंध होने की जानकारी नहीं है. ब्रिटेन के एक अखबार ने अदालती दस्तावेज के हवाले से यह दावा किया है.
द डेली टेलीग्राफ की रिपोर्ट
‘द डेली टेलीग्राफ’ की रिपोर्ट के अनुसार, 51 वादियों द्वारा एक सामूहिक कार्रवाई के अनुरोध पर फरवरी में लंदन स्थित उच्च न्यायालय में एक कानूनी दस्तावेज सौंपा गया था.एस्ट्राजेनेका ने स्वीकार किया था कि कोविड-19 से बचाव के लिए ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय द्वारा ईजाद किया गया टीका ‘‘बहुत दुर्लभ मामलों में’’ रक्त के थक्के जमा सकता है और प्लेटलेट की संख्या को घटा सकता है.
एस्ट्राजेनेका वैक्सजेव्रिया टीके का उत्पादन सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एसआईआई) ने भी किया था और इस टीके को भारत में ‘कोविशील्ड’ नाम से जाना जाता है.
सरकार को विचार करने को कहा
कोविशील्ड टीके से शरीर में उत्पन्न होने वाली समस्याओं के बारे में बात करते हुए भारद्वाज ने पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘सरकार को टीके के कथित दुष्प्रभाव से जुड़ी चिंताओं को तुरंत दूर करना चाहिए क्योंकि भारत में करोड़ों लोगों को यह टीका लगाया गया है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘हमने हाल में सोशल मीडिया पर कई वीडियो देखे हैं जिनमें लोगों को कामकाज करने के तुरंत बाद गिरते और फौरन मौत होते देखा जा सकता है,जो महामारी से पहले नहीं होता था. कई लोग कोविड टीके से इसे जोड़कर देख रहे हैं और यह चिंता का विषय है क्योंकि इससे तनाव फैल सकता है.’’
भारद्वाज ने कहा, ‘‘जान गंवाने वाले ज्यादातार लोग युवा थे.सरकार को इस बारे में विचार करना चाहिए कि यदि लोग दुष्प्रभावों का सामना कर रहे हैं तो इसे कैसे रोका जा सकता है.’’
-भारत एक्सप्रेस
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