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स्कूल बच्चों को NCERT द्वारा निर्धारित किताबों के अलावा अन्य किताबों के लिए मजबूर नहीं कर सकते: दिल्ली शिक्षा विभाग

शिक्षा निदेशालय (DoE) ने कहा है कि NCERT और SCERT द्वारा प्रकाशित किताबों का इस्तेमाल करने के लिए बच्चों के साथ भेदभाव या उनका उत्पीड़न नहीं किया जाना चाहिए.

Kolkata: Teacher gives children a class about 'Corona virus' during awareness and safety precaution at a City School in Kolkata on March 11, 2020. (IANS/ Kuntal Chakrabarty)

(प्रतीकात्मक तस्वीर: IANS)

दिल्ली सरकार (Delhi Govt) के शिक्षा विभाग ने सभी मान्यता प्राप्त निजी स्कूलों के प्रमुखों को निर्देश दिया है कि वे प्राइमरी कक्षाओं के बच्चों को NCERT और SCERT (स्टेट काउंसिल ऑफ एजुकेशनल रिसर्च एंड ट्रेनिंग) द्वारा निर्धारित टेक्स्टबुक्स के अलावा अन्य टेक्स्टबुक्स का इस्तेमाल करने के लिए मजबूर नहीं कर सकते.

निर्देशों के अनुसार, अगर स्कूल स्टूडेंट्स को एनसीईआरटी या एससीईआरटी की निर्धारित सूची में शामिल न होने वाली किताबें पढ़ने के लिए बाध्य करते हैं तो यह शिक्षा के अधिकार (RTE) अधिनियम का उल्लंघन होगा.

दिल्ली सरकार का निर्देश शिक्षा के अधिकार अधिनियम, 2009 की धारा 29 के कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए एक परिपत्र में आया है, जो प्रारंभिक शिक्षा के लिए पाठ्यक्रम और मूल्यांकन प्रक्रियाओं को सरकार द्वारा निर्दिष्ट शैक्षणिक प्राधिकरण द्वारा निर्धारित करने का आदेश देता है.

भेदभाव न किया जाए

शिक्षा निदेशालय (DoE) ने कहा कि राष्ट्रीय या राज्य शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (NCERT) द्वारा प्रकाशित किताबों का इस्तेमाल करने के लिए बच्चों के साथ भेदभाव या उनका उत्पीड़न नहीं किया जाना चाहिए. इन दिशा-निर्देशों का उल्लंघन करने पर, जिससे छात्रों को ‘मानसिक या शारीरिक पीड़ा’ होती है, किशोर न्याय अधिनियम 2015 के प्रावधानों को लागू किया जा सकता है.

निर्देश प्रमुखता से प्रदर्शित करें

शिक्षा विभाग ने स्कूलों को निर्देश दिया है कि वे इन निर्देशों को अपनी वेबसाइट और नोटिस बोर्ड पर प्रमुखता से प्रदर्शित करें. इसके अलावा स्कूलों को व्यापक जागरूकता सुनिश्चित करने के लिए अभिभावकों के बीच निर्देश की प्रतियां प्रसारित करनी चाहिए. स्कूलों के प्रमुखों को यह जानकारी सभी छात्रों, अभिभावकों और स्कूल की प्रबंध समिति के सदस्यों तक प्रसारित करने का निर्देश दिया गया है, ताकि एक समान शैक्षिक मानक और छात्रों की भलाई के प्रति प्रतिबद्धता को मजबूत किया जा सके.

-भारत एक्सप्रेस

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