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Ayodhya Ram Mandir: अयोध्या में 22 जनवरी को राम मंदिर का उद्घाटन होने जा रहा है. इसको लेकर महमूद मदनी गुट वाले जमीयत-उलेमा-ए-हिंद के अधिवेशन में एक प्रस्ताव पास किया गया है और भव्य कार्यक्रम पर चिंता जताई गई है. इसी के साथ ही दूसरे इबादतगाहों पर खड़े हो रहे विवाद पर भी प्रस्ताव पास किया गया है और 22 जनवरी को होने जा रहे कार्यक्रम में सरकार की भागीदारी को गलत ठहराया है.
महमूद मदनी गुट वाले जमीयत-उलेमा-ए-हिंद ने अपने प्रस्ताव में राम मंदिर के साथ ही बाबरी मस्जिद को लेकर कहा गया है कि सरकार और उसकी संस्थाओं को पक्षपातपूर्ण नीति से बचना चाहिए. इसी के साथ कहा गया है कि ‘बाबरी मस्जि द के संबंध में सुप्रीम कोर्ट का फैसला न्याय के मानकों पर खरा नहीं उतरता. यह निर्णय न्याय की भावना के विपरीत, आस्था और तकनीकी पहलुओं पर आधारित है. सुप्रीम कोर्ट ने स्वयं माना है कि इस बात का कोई सबूत मौजूद नहीं है कि बाबरी मस्जिद का निर्माण मंदिर को तोड़कर किया गया था’.
जमीयत ने अपने प्रस्ताव में अदालतों को लेकर क्या कहा?
जमीयत-उलेमा-ए-हिंद के अधिवेशन में पास किए गए प्रस्ताव में कहा गया है ‘सभा को इस बात पर भी चिंता है कि अपने फैसलों में पूजा स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम 1991 को कठोरता से लागू करने संबंधित आश्वासन के बावजूद, अदालतें अन्य मस्जिदों पर हिंदू पक्ष के दावों की भी सुनवाई कर रही हैं. 1991 को कठोरता से लागू करने संबंधित आश्वासन के बावजूद, अदालतें अन्य मस्जिदों पर हिंदू पक्ष के दावों की भी सुनवाई कर रही हैं.
देश में बनाया जा रहा है घृणा का वातावरण
इस मौके पर जमीयत-उलेमा-ए-हिंद (मदनी गुट) के अध्यक्ष महमूद मदनी ने अधिवेशन के दौरान संबोधन दिया. इस मौके पर उन्होंने कहा कि, ‘कुछ शक्तियां मुस्लिम अल्पसंख्यकों को नीचा दिखाने और उनको मानसिक प्रताड़ना और चोट पहुंचाने की लगातार कोशिशें कर रही हैं.’ साथ ही आगे कहा कि,’देश में जो घृणा का वातावरण बनाया जा रहा है वह किसी भी तरह से देशहित में नहीं है. इसके अलावा हम इसे चुनाव को अनुचित तरीके से प्रभावित करने का माध्यम भी मानते हैं’.
प्रस्ताव में कही गई ये बात
अधिवेशन के दौरान लोकसभा चुनाव को लेकर जमीयत ने प्रस्ताव पास किया है. प्रस्ताव में कहा गया है कि ‘संस्था के पदाधिकारी धर्मनिरपेक्ष राजनीतिक दलों का व्यक्तिगत रूप से समर्थन कर सकता है. जमीयत-उलमा-ए-हिंद के तौर पर चुनावों में किसी विशेष राजनीतिक दल का समर्थन नहीं किया जा सकता है’. बता दें कि जमीयत उलेमा-ए-हिन्द या जमीयत उलमा-ए-हिन्द, भारत में बड़े इस्लामी संगठनों में से एक है. 2008 में यह संगठन दो गुटों में बंट गया था, जिसमें से एक गुट के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी हैं और दूसरे अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी हैं.
-भारत एक्सप्रेस