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‘शूद्र’ कहकर सपा अपमान नहीं करे और न संविधान की अवहेलना करे, बोली- बसपा सुप्रीमो मायावती

Lucknow: सपा पर वंचित तबकों का अपमान करने का आरोप लगाते हुए मायावती ने ट्वीट कर कहा कि देश में कमजोर व उपेक्षित वर्गों का रामचरितमानस व मनुस्मृति आदि ग्रंथ नहीं बल्कि भारतीय संविधान है

बसपा सुप्रीमो मायावती

बसपा सुप्रीमो मायावती (फोटो फाइल)

Lucknow: रामचरितमानस पर बढ़ते विवाद के बीच अब उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने रामचरितमानस को लेकर समाजवादी पार्टी पर निशाना साधा है. रामचरितमानस प्रकरण पर बोलते हुए मायावती ने कहा कि देश में कमजोर और उपेक्षित वर्गों का ग्रंथ ‘रामचरितमानस या मनुस्मृति’ नहीं बल्कि ‘भारतीय संविधान’ है.

सपा कर रही वंचित तबकों का अपमान और संविधान की अवहेलना

सपा पर वंचित तबकों का अपमान करने का आरोप लगाते हुए मायावती ने ट्वीट कर कहा कि देश में कमजोर व उपेक्षित वर्गों का रामचरितमानस व मनुस्मृति आदि ग्रंथ नहीं बल्कि भारतीय संविधान है, जिसमें बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर ने इनको शूद्रों की नहीं बल्कि एससी, एसटी व ओबीसी की संज्ञा दी है. अतः इन्हें शूद्र कहकर सपा इनका अपमान न करे तथा न ही संविधान की अवहेलना करे.

मायावती ने अन्य पार्टियों को भी बताया दोषी

अपने ट्वीट में मायावती ने कहा कि, ‘‘इतना ही नहीं, देश के अन्य राज्यों की तरह उप्र में भी दलितों, आदिवासियों व ओबीसी समाज के शोषण, अन्याय, नाइन्साफी तथा इन वर्गों में जन्मे महान संतों, गुरुओं व महापुरुषों आदि की उपेक्षा एवं तिरस्कार के मामले में कांग्रेस, भाजपा व समाजवादी पार्टी भी कोई किसी से कम नहीं.’’

सपा मुखिया को याद दिलाया गेस्ट हाउस कांड बोलीं दलित की बेटी पर किया हमला

सपा को पुराने दिनों की याद दिलाते हुए मायावती ने कहा, ‘‘साथ ही सपा प्रमुख को इनकी वकालत करने से पहले उन्हें लखनऊ स्टेट गेस्ट हाउस के दो जून, 1995 की घटना को भी याद कर अपने गिरेबान में जरूर झांककर देखना चाहिए, जब मुख्यमंत्री बनने जा रही एक दलित की बेटी पर सपा सरकार में जानलेवा हमला कराया गया था.’’

बसपा में इनकी कद्र

अपने ट्विट में मायावती ने आगे कहा कि वैसे भी यह जगजाहिर है कि देश में एससी, एसटी, ओबीसी, मुस्लिम एवं अन्य धार्मिक अल्पसंख्यकों आदि के आत्म-सम्मान एवं स्वाभिमान की क़द्र बसपा में ही हमेशा से निहित और सुरक्षित है, जबकि बाकी पार्टियां इनके वोट के स्वार्थ की खातिर किस्म-किस्म की नाटकबाजी ही ज्यादा करती रहती हैं.

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मौर्य ने दिया था यह बयान

श्रीरामचरितमानस पर अपनी टिप्पणी से सुर्खियों में आये मौर्य ने बृहस्पतिवार को महात्मा गांधी के साथ हुए अपमान की तुलना महिलाओं और ‘शूद्र’ के दर्द की थी. अपने ट्वीट में समाजवादी पार्टी के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा था कि, ‘‘‘इंडियंस आर डॉग्स’’ कहकर अंग्रेजों ने जो अपमान व बदसलूकी ट्रेन में गांधी जी से की थी, वह दर्द गांधी जी ने ही समझा था.

उसी प्रकार धर्म की आड़ में जो अपमानजनक टिप्पणियां महिलाओं एवं शूद्र समाज के लिए की जाती हैं उसका दर्द भी महिलाएं और शूद्र समाज ही समझता है.’

श्रीरामचरितमानस पर अपने बयान में मौर्य ने कहा था कि श्रीरामचरितमानस की कुछ पंक्तियों में जाति, वर्ण और वर्ग के आधार पर यदि समाज के किसी वर्ग का अपमान हुआ है तो निश्चित रूप से वह ‘‘धर्म नहीं अधर्म’’ है.

मौर्य ने कहा था कि, ‘‘श्रीरामचरित मानस की कुछ पंक्तियों में ‘तेली’ और ‘कुम्हार’ जैसी जातियों के नामों का उल्लेख है, जो इन जातियों के लाखों लोगों की भावनाओं को आहत करती हैं.’’ इसके अलावा मौर्य ने इस बात की मांग की थी कि इस पुस्तक के ऐसे हिस्से पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए जो किसी की जाति या ऐसे किसी चिह्न के आधार पर किसी का अपमान करते हैं.

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