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UP News: हड़ताल करने वालों की बिना वारंट होगी गिरफ्तारी…योगी सरकार ने छह महीने के लिए लगाई रोक, जानें वजह

Lucknow: यह आदेश राज्य सरकार के अधीन सरकारी विभागों, निगम और प्राधिकरण पर लागू होगा. इसको लेकर अपर मुख्य सचिव कार्मिक डॉ. देवेश चतुर्वेद ने इस संबंध में अधिसूचना जारी की है.

फोटो-सोशल मीडिया

UP News: किसान आंदोलन को देखते हुए उत्तर प्रदेश सरकार ने बड़ा फैसला लेते हुए आने वाले 6 महीने के लिए किसी भी तरह से हड़ताल पर रोक लगा जी है. यानी सरकार के अधीन आने वाले विभागों के कर्मचारी अपनी किसी भी मांग को लेकर हड़ताल नहीं कर सकेंगे. अगर कोई कर्मचारी हड़ताल या प्रदर्शन करता है या सरकार के फैसले का उल्लंघन करता है तो बिना वारंट उसकी गिरफ्तारी की जाएगी. यह आदेश राज्य सरकार के अधीन सरकारी विभागों, निगम और प्राधिकरण पर लागू होगा. इसको लेकर अपर मुख्य सचिव कार्मिक डॉ. देवेश चतुर्वेद ने इस संबंध में अधिसूचना जारी की है.

इस सम्बंध में सरकार की ओर से अधिसूचना जारी की गई है और जानकारी दी गई है कि, एस्मा एक्ट लगने के बाद कोई भी कर्मचारी हड़ताल-प्रदर्शन करता है तो इसे एक्ट का उल्लंघन माना जाएगा और उसकी बिना वारंट गिरफ्तारी होगी. बता दें कि, इससे पहले योगी सरकार ने 2023 में छह महीने के लिए हड़ताल पर रोक लगा दी थी. उस समय बिजली विभाग के कर्मचारियों के हड़ताल पर जाने के कारण यूपी सरकार को ये फैसला लेना पड़ा था. बता दें कि एस्मा का इस्तेमाल उस वक्त किया जाता है, जब बड़ी संख्या में कई सरकारी विभागों के कर्मचारी हड़ताल पर जाते हैं और सरकार का काम बाधित होता है. एस्मा का इस्तेमाल हड़ताल पर रोक लगाने के लिए किया जाता है. बता दें कि अपनी कई मांगों को लेकर देश के कई हिस्सों के किसान सड़क पर उतर चुके हैं और कई दिनों से यूपी-दिल्ली बॉर्डर पर किसानों और जवानों के बीच संघर्ष चल रहा है. गौरतलब है कि, इससे पहले 2020 में भी किसान आंदोलन हुआ था और उस समय किसानों ने अपनी मांगें पूरी कराने के लिए एक साल से अधिक समय तक आंदोलन किया था. तब किसान गर्मी से लेकर ठंडी और बारिश में भी सड़क पर ही बैठे रहे थे.

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ये है किसानों की मांगें

बता दें कि किसान फसलों की एमएसपी यानी न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कानूनी गारंटी और किसानों के कर्ज माफ सहित एक दर्जन से अधिक मांगों को लेकर आंदोलन कर रहे हैं. फिलहाल बीते सोमवार को केंद्र सरकार से मांगों को लेकर वार्ता हुई थी, जिसमें केंद्र सरकार ने 2020-21 के पिछले किसान आंदोलन के दौरान मारे गए किसानों के परिवारों को मुआवजा देने पर सहमति जताई है. इसी के साथ ही केंद्र सरकार ने 2020-21 के आंदोलन के दौरान किसानों के खिलाफ दर्ज मामले वापस लेने पर सहमति जताई है. तो वहीं किसान अपनी अन्य मांगों को पूरा कराने के लिए आंदोलन को लेकर डटे हुए हैं.

-भारत एक्सप्रेस

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