सुधमहादेव मंदिर में तीन दिवसीय ऐतिहासिक मेला
उधमपुर। तहसील चिनैनी में तीन दिवसीय ऐतिहासिक सुद्धमहादेव मेले का आगाज शनिवार को पारंपरिक उत्साह और उल्लास के बीच शुरु हो चुका है. इसमें जम्मू संभाग सहित अन्य राज्यों से भी काफी संख्या में श्रद्धालुओं के पहुंचे है. सुधमहादेव मेला जम्मू प्रांत के तीन दिवसीय सबसे महत्वपूर्ण धार्मिक आयोजनों में से एक है. इस साल मेला का आगाज 4 जून से शुरू हो गया है. बता दें कि कोविड-19 महामारी के कारण मेले से संबंधित महत्वपूर्ण धार्मिक अनुष्ठानों को ही निर्धारित निर्देशों के साथ किया गया है. मेले के पहले दिन यूटी के भीतर और बाहर के हजारों श्रद्धालुओं ने भगवान शिव का आशीर्वाद लेने के लिए पवित्र सुधमहादेव मंदिर का दौरा किया.
गौरी कुंड मंदिर का महत्व
मेले के पहले दिन शाम को तीर्थयात्री गौरी कुंड पहुंचते हैं. वे गौरी कुंड में स्नान करते हैं और देवी पार्वती के मंदिर में प्रार्थना करते हैं. ऐसा माना जाता है कि देवी पार्वती ने भगवान शिव से विवाह करने के लिए एक गुफा के अंदर इसी स्थान पर पूजा की थी. तीर्थयात्री इस स्थान की ठंडी हवा और प्राकृतिक सुंदरता का आनंद लेते हैं और पास की ठंडी जलधारा में स्नान भी करते हैं. गौरी कुंड के पूरे रास्ते में स्थानीय लोग खाने-पीने की चीजों और अन्य सामानों के स्टॉल लगाते हैं. इस जगह पर मुफ्त लंगर की भी व्यवस्था है. गौरी-कुंड में पवित्र स्नान और प्रार्थना के बाद, तीर्थयात्री रात भर सुधमहादेव की ओर मार्च नजर आये, ज्यादातर पैदल ही स्थानीय लोक गीत गाते हैं और हर-हर महादेव नारे लगाते हैं.
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डीडीसी उधमपुर के अध्यक्ष लाल चंद रहे मुख्य अतिथि
इस मेले में डीडीसी उधमपुर के अध्यक्ष लाल चंद मुख्य अतिथि थे, जिन्होंने औपचारिक रूप से डीडीसी के उपाध्यक्ष जूही मन्हास पठानिया, बीडीसी अध्यक्ष प्रकाश चंद, अध्यक्ष एमसी चेनानी, मानिक गुप्ता, डीडीसी पार्षद नरसू सुभाष चंद्र, डीडीसी पार्षद की उपस्थिति में मेले का उद्घाटन किया. सभा को संबोधित करते हुए, डीडीसी अध्यक्ष ने लोगों को बधाई दी और कहा कि इस तरह के मेले समृद्ध सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत को दर्शाते हैं और भाईचारे के बंधन को मजबूत करने में मददगार होता है.
जानकारी के मुताबिक अध्यक्ष लाल चंद ने समृद्ध संस्कृति और पारंपरिक मूल्यों के संरक्षण की आवश्यकता पर जोर देते हुए, कहा कि ये आयोजन हमारी समग्र संस्कृति का एक हिस्सा हैं क्योंकि ये आयोजन विभिन्न धर्मों, नस्लों और क्षेत्रों के लोगों को करीब लाते हैं और समाज के सभी वर्गों के बीच अच्छाई बनाए रखने में मदद करते हैं
– भारत एक्सप्रेस
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