ममता बनर्जी और सुप्रीम कोर्ट.
कोलकाता आरजी कर मेडिकल कॉलेज में ट्रेनी महिला डॉक्टर के साथ रेप और हत्या के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को 17 सितंबर तक दोबारा स्टेट्स रिपोर्ट दाखिल करने को कहा है। सुप्रीम कोर्ट 17 सितंबर को इस मामले में अगली सुनवाई करेगा। मामले की सुप्रीम कोर्ट ने सभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से पीड़िता की तस्वीरें तुरंत हटाने का निर्देश दिया कोर्ट ने कहा कि मृतक की गरिमा और गोपनीयता की रक्षा के लिए इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों को तुरंत हटाया जाना चाहिए। सीजेआई ने कहा कि कल शाम 5 बजे तक डॉक्टर काम पर लौट आते हैं तो उनके खिलाफ कार्रवाई नहीं होगी। लेकिन यदि वे डॉक्टर के रूप में काम पर नही लौटते हैं, तो हम राज्य सरकार को कार्रवाई करने से नहीं रोक सकते है। रेप के बाद हत्या की गई डॉक्टर के शव को पोस्टमार्टम के लिए स्थानांतरित करने से संबंधित दस्तावेज की अनुपस्थिति पर कोर्ट ने कहा कि सीबीआई इसका कारण पता लगाए।
घटना पर एफआईआर दर्ज करने में कम से कम 14 घंटे की देरी
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि एक बात बिल्कुल स्पष्ट है कि घटना पर एफआईआर दर्ज करने में कम से कम 14 घंटे की देरी हुई। सिब्बल ने कोर्ट से कहा कि डॉक्टरों की हड़ताल की वजह से 6 लाख लोग प्रभावित हुए है। मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, जेबी पारदीवाला और मनीज मिश्रा वाली तीन स्दस्यीय पीठ सुनवाई कर रही है। सुप्रीम कोर्ट ने स्वतः ही इस मामले में संज्ञान लिया था। मामले की सुनवाई के दौरान पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कोर्ट को बताया कि डॉक्टरों की हड़ताल की वजह से अब तक 23 लोगों की मौत हो चुकी है। इस मामले तीन रिपोर्ट दाखिल की गई है। राज्य सरकार, सीबीआई और स्वास्थ्य मंत्रालय ने दाखिल किया है।सीबीआई की स्टेटस रिपोर्ट पढ़ते हुए सीजेआई ने एसजी से पूछा कि प्रिंसिपल का घर कॉलेज से कितनी दूर है।
श्चिम बंगाल सरकार सीबीआई से क्या छिपाना चाहती है: सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता
एसजी ने कहा 15-20 मिनट की दूरी पर है। सीबीआई की तरफ से पेश वकील सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने आरोप लगाते हुए कहा कि पश्चिम बंगाल सरकार सीबीआई से क्या छिपाना चाहती है, हमें पश्चिम बंगाल सरकार के तरफ से दाखिल रिपोर्ट की कॉपी नही मिली है। सिब्बल ने कहा कि हमने कॉपी कोर्ट में जमा की है। सीबीआई को नही दिया है। सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि वो हम सबकी बेटी थी। सीजेआई ने कहा कि ये बताने के लिए सीसीटीवी फुटेज है कि आरोपी कितने बजे सेमिनार रूम में गया और बाहर निकला। सर्च और सीजर कब हुआ। सिब्बल ने कहा कि 8:30 शामको जब बॉडी पोस्टमार्टम के लिए ले जाया गया, तब से प्रक्रिया शुरू हुई। उससे पहले वहां की फोटोग्राफी का काम पूरा हो गया था। सीसीटीवी फुटेज, सब कुछ सीबीआई को दे दिया गया है? 8.30 शाम को. जब बॉडी पोस्टमार्टम के लिए ले जाया गया, तब से प्रक्रिया शुरू हुई. उससे पहले वहां कि फोटोग्राफी का काम पूरा हो गया था. सीसीटीवी फुटेज, सब कुछ सीबीआई को दे दिया गया है? एसजी ने कहा कि हमे मिल गया है। सुप्रीम कोर्ट ने अप्राकृतिक मौत की रिपोर्ट दर्ज करने के समय पर स्पष्टीकरण मांगा।
प्रीम कोर्ट ने तलाशी और जब्ती के बारे में भी जानना चाहा
सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट को बताया की मृत्यु प्रमाण पत्र दोपहर 1:46 बजे दिया गया, अप्राकृतिक मौत की एंट्री पुलिस स्टेशन में दोपहर 2:55 बजे की गई। सुप्रीम कोर्ट ने तलाशी और जब्ती के बारे में भी जानना चाहा। सिब्बल ने शाम 8:30 बजे से 10:45 तक जवाब दिया। एसजी ने कहा कि कुल 4 क्लिपिंग 27 मिनट की अवधि की मिली है। एक गंभीर विषय अदालत के संज्ञान में लाना है। फॉरेंसिक रिपोर्ट के आधार पर पीड़िता, अर्धनग्न हालत में थी और शरीर पर चोट के निशान थे। ये बेहद गंभीर मामला है, उसके बाद सीबीआई ने सैंपल एम्स में भेजा है, ऐसे में सैम्पल किसने लिए, ये जानना जरूरी हो जाता है। केंद्र सरकार की ओर से दायर अर्जी पर सुनवाई के दौरान एसजी ने कहा कि सीआईएसएफ को रहने तक की जगह नहीं मुहैया करायी जा रही। सिब्बल ने कहा कि हमने सब मुहैया कराया है। सीआईएसएफ तीन कंपनियां हैं। सिब्बल ने कहा कि महज 6 से 13 मिनट की दूरी पर रहने के लिए जगह मुहैया करायी गई है। स्कूलों व अन्य स्थानों में यह व्यवस्था की गई है। सीजेआई ने कहा कि पूरा ब्यौरा राज्य सरकार ने दिया है।
सुप्रीम कोर्ट का खास निर्देश
एसजी ने कहा कि कुछ को ही सुविधा दी गई है। सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार से शाम 5 बजे तक सीआईएसएफ को रहने के लिए स्थान समेत अन्य संसाधन मुहैया कराने का निर्देश दिया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पश्चिम बंगाल के वरिष्ठ अधिकारी सारी व्यवस्थाओं को देखें और सीआईएसएफ की कंपनियों के अधिकारी से बात करें। केंद्र सरकार द्वारा रिकॉर्ड पर दिए गए बयान में, यह संकेत दिया गया है कि आवास (1) आरएमए क्वार्टर है (2) आरजी कर कॉलेज (3) इंदिरा मैत्री सदन, जिसे आज अपराह्न 3 बजे तक सौंप दिया जाएगा। हम निर्देश देते हैं कि पश्चिम बंगाल राज्य द्वारा नामित एक वरिष्ठ अधिकारी और सीआईएसएफ द्वारा नामित वरिष्ठ अधिकारी आवास का स्थान निर्धारित करें। केंद्र सरकार ने अर्जी दाखिल कर सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध किया है कि वह न्यायालय द्वारा पारित आदेश का जानबूझकर पालन न करने के लिए पश्चिम बंगाल सरकार के दोषी अधिकारियों के खिलाफ अवमानना की कार्यवाही शुरू करें।
पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा था
पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित राष्ट्रीय टास्क फोर्स से कहा था कि वह डॉक्टरों और चिकित्सा पेशेवरों की सुरक्षा, कामकाजी परिस्थितियों और कल्याण से संबंधित प्रभावी सिफारिशें तैयार करते समय विभिन्न चिकित्सा संघो की बातचीत को सुने। पिछली सुनवाई में कोर्ट ने इस घटना को भयावह करार दिया, नो देश भर में डॉक्टरों की सुरक्षा का प्रणालीगत मुद्दा उठाती है। 22 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने डॉक्टर की अप्राकृतिक मौत दर्ज करने में देरी पर कोलकाता पुलिस को फटकार लगाई थी। कोर्ट ने प्रदर्शन कर रहे डॉक्टरों से भावुक अपील करते हुए उन्हें काम पर वापस लौटने को कहा था और कहा था कि न्याय और चिकित्सा को रोका नही जा सकता है। इसके अलावा कोर्ट ने कहा था कि वह उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सभी आवश्यक निर्देश जारी कर रहा है।
घटना के बाद ममता सरकार ने बनाया नया कानून
वहीं, कोर्ट ने हॉस्पिटल में हुई तोड़फोड़ के संबंध में सीबीआई और कोलकाता पुलिस द्वारा दायर स्टेट्स रिपोर्ट को भी रेकॉर्ड में लेने को कहा था। बता दें कि इस घटना के बाद ममता सरकार ने नया कानून बनाया है। इससे संबंधित एंटी रेप बिल विधानसभा में पास हो गया है। इस बिल में रेप और हत्या के दोषी के लिए फांसी की सजा का प्रावधान है। चार्जशीट दायर करने के 36 दिनों के भीतर सजा सुनाने का प्रावधान है। पुलिस को 21 दिन में जांच पूरी करनी होगी।
अपराधी की मदद करने पर 5 साल की कैद की सजा का प्रावधान, हर जिले में स्पेशल अपराजिता टास्क फोर्स बनाने का प्रावधान, रेप, एसिड, अटैक और छेड़छाड़ जैसे मामलों में ये टास्क फोर्स लेगी एक्शन। रेप के साथ ही एसिड अटैक भी उतना ही गंभीर, इसके लिए उम्रकैद की सजा का प्रावधान है। पीड़िता की पहचान उजागर करने वालों के खिलाफ 3-5 साल तक की सजा का प्रावधान। विधेयक में रेप मि जांच और सुनवाई में तेजी लाने के लिए बीएनएस के प्रावधानों में संशोधन शामिल है।
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