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पुलिस अधिकारियों की निंदा से जुड़ी ​दिल्ली हाईकोर्ट की टिप्पणियों को हटाने की मांग, सुप्रीम कोर्ट ने कहा— ऐसा निर्देश कैसे पारित कर सकते हैं?

पुलिस अधिकारियों की निंदा से जुड़ी ​टिप्पणियों के मामले में सुनवाई के दौरान जस्टिस अभय एस ओका की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि हम इस बात से चिंतित हैं कि हाई कोर्ट इस बारे में दिशानिर्देश दे रहा है कि निर्णय कैसे लिखा जाना चाहिए या नहीं लिखा जाना चाहिए.

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सांकेतिक फोटो

Delhi News: दिल्ली हाई कोर्ट द्वारा पुलिस अधिकारियों की निंदा करने के लिए उनके खिलाफ की गई टिप्पणियों को हटाने की मांग वाली निचली अदालत के एक जज की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ऐसा निर्देश कैसे पारित किया जा सकता है?

जस्टिस अभय एस ओका की अध्यक्षता वाली बेंच ने मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि हम इस बात से चिंतित हैं कि हाई कोर्ट इस बारे में दिशानिर्देश दे रहा है कि निर्णय कैसे लिखा जाना चाहिए या नहीं लिखा जाना चाहिए.

कोर्ट ने कहा कि क्या आपने कभी बरी करने का आदेश पारित होने के बाद पुलिस के खिलाफ कार्रवाई के बारे में सुना है? लेकिन हाई कोर्ट यह कैसे तय कर सकता है कि फैसला कैसे लिखा जाना चाहिए. यह न्यायिक अधिकारियों के साथ हस्तक्षेप है? वही हाई कोर्ट की ओर से पेश एडिशनल सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने कहा कि आदेश पारित करने की आवश्यकता नही है, हम इसे स्वयं करेंगे। एसवी राजू ने निर्देश लेने के लिए कोर्ट से 4 हफ्ते का समय दे दिया है.

25 सितंबर को अगली सुनवाई

कोर्ट इस मामले में 25 सितंबर को अगली सुनवाई करेगा. बता दें कि एक दिन पहले ही सुप्रीम कोर्ट को लेकर पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट द्वारा की गई टिप्पणी पर कोर्ट ने नाराजगी जाहिर करते हुए चेतवानी जारी किया था. सीजेआई ने कहा था कि भविष्य में सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट की डिवीजन बेंच के आदेशों में सुनवाई के दौरान अधिक सावधानी बरतने की उम्मीद करते है. सीजेआई ने कहा था कि जहां पारित आदेशों पर अलग-अलग जज सहमत हों, वहां बात अलग है.

सीजेआई ने कहा था कि अदालत नोटिस जारी करने के लिए इच्छुक होती, ऐसा करने से जज के खिलाफ अवमानना की कार्यवाही शुरू हो जाती, जिसे सुप्रीम कोर्ट टाल रहा है. मामले की सुनवाई के दौरान अटॉर्नी जनरल ने कहा था कि कोर्ट को इस मामले में दखल देना चाहिए. AG ने कहा था कि मुझे लगता है कि सुप्रीम कोर्ट को गंभीरता से संज्ञान लेना चाहिए. वहीं, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था कि जहां तक वीडियो का सवाल है तो यह एक गंभीर अवमानना का मामला बनता है. सॉलिसिटर जनरल ने बताया था कि मामला भूमि विवाद से संबंधित था.

— भारत एक्सप्रेस



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