
सुप्रीम कोर्ट ने सार्वजनिक स्थानों पर माताओं द्वारा अपने शिशुओं को स्तनपान कराने के लिए अलग से कमरे की व्यवस्था करने की मांग वाली याचिका पर निर्णय दिया. जस्टिस बीवी नागरत्ना की अध्यक्षता वाली पीठ ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया कि वह सभी राज्यों के मुख्य सचिवों को रिमाइंडर नोटिस जारी कर केंद्र सरकार द्वारा जारी दिशा-निर्देशों को लागू करने के लिए आवश्यक कदम उठाए.
स्तनपान की सुविधा के लिए कमरे बनाने का निर्देश
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जहां भी नई बिल्डिंग बनाई जा रही है, वहां पहले से ही जमीन सुरक्षित कर ली जाए, ताकि वहां शिशु को स्तनपान कराने के लिए एक अलग से कमरा बनाया जा सके. कोर्ट ने इस कदम को लागू करने के लिए केंद्र सरकार और राज्य सरकारों से जरूरी कार्रवाई की उम्मीद जताई है.
नवजात शिशुओं और माताओं की सुविधा
इस याचिका को ‘मातृ स्पर्श’ नामक संस्था ने दायर किया था, जो सार्वजनिक स्थानों पर फीडिंग रूम, चाइल्ड केयर रूम और क्रेच स्थापित करने के लिए काम कर रही है. याचिका में कहा गया था कि इस प्रकार की सुविधाओं का अभाव होने से नवजात बच्चों और उनकी माताओं को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है.
माताओं का मौलिक अधिकार
याचिका में यह भी कहा गया था कि हर महिला का मौलिक अधिकार है कि वह अपनी निजता और गरिमा के साथ अपने बच्चे को स्तनपान कराए, जिसे बार-बार उल्लंघन किया जा रहा है. साथ ही, यह भी कहा गया था कि बच्चों को नर्सिंग के माध्यम से उचित पोषण प्राप्त करने का अधिकार है, और यह अधिकार माताओं को स्तनपान के लिए एक सुरक्षित और व्यक्तिगत स्थान उपलब्ध कराने के रूप में सुनिश्चित किया जाना चाहिए.
पिछली याचिका और कोर्ट के आदेश
इससे पहले 2019 में दिल्ली हाई कोर्ट में भी इस मुद्दे पर याचिका दायर की गई थी. उस समय कोर्ट ने सरकार से जवाब प्राप्त करने के बाद याचिका का निपटारा कर दिया था. दिल्ली में कई स्थानों पर शिशु केयर सेंटर की स्थापना की जा रही थी. इसके बाद 2022 में नेहा रस्तोगी और अन्य ने पूरे देश में यह व्यवस्था लागू करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी, जिस पर अब यह फैसला आया है.
-भारत एक्सप्रेस
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