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Arun Goel: इतनी जल्दबाजी क्यों?- SC ने EC अरुण गोयल की नियुक्ति प्रकिया पर उठाए सवाल

जस्टिस रस्तोगी ने पूछा कि क्या आप हमें बता सकते हैं कि सरकार ने इस नियुक्ति के लिए जल्दबाजी क्यों की?

Arun Goel

चुनाव आयुक्त अरुण गोयल

Arun Goel: सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति प्रक्रिया को लेकर एक बार फिर सुनवाई हुई. इस दौरान कोर्ट ने नियुक्ति के तरीके पर सवाल खड़े कर दिए. जस्टिस अजय रस्तोगी ने नियुक्ति पर सवाल पूछा कि क्या आप हमें बता सकते हैं कि सरकार ने इस पर नियुक्ति के लिए जल्दबाजी क्यों की? उसी दिन क्लीयरेंस, उसी दिन नोटिफिकेशन, उसी दिन एक्सेप्टेंस. फाइल 24 घंटे भी नहीं घूमी. इस पर अटॉर्नी जनरल (एजी) ने कहा कि वो सभी बातों का जवाब देंगे, लेकिन उन्हें बोलने का मौका दिया जाए.

हालांकि, सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने सुनवाई के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है. कोर्ट के सवालों ने सरकार को कठघरे में खड़ा कर दिया. तो वहीं कोर्ट ने अटॉर्नी जनरल और सॉलिसिटर जनरल को कार्यपालिका, विधायिका और न्यायपालिका की सीमाएं भी याद दिलाईं.

अदालत ने बुधवार को अरुण गोयल (Arun Goel) के चयन से संबंधित मूल फाइल को अदालत में पेश करने को कहा था. कोर्ट ने कहा था कि वो जानना चाहते है कि उनकी नियुक्ति में कोई गड़बड़झाला तो नहीं हुआ है. जिसके बाद सरकार की ओर से नियुक्ति की ओरिजनल फाइल की प्रतियां कोर्ट को दे दी गई है.

हम चयन का आधार जानना चाहते हैं- जस्टिस रस्तोगी

सुनवाई के दौरान जस्टिस अजय रस्तोगी ने कहा कि कई बार तेजी से आगे बढ़ना संभव होता है, लेकिन सवाल ये है कि 15 मई को ये वैकेंसी थी, जब मामला विचाराधीन है, तो नियुक्त करने में इतनी जल्दबाजी क्यों की गई. साथ ही जस्टिस रस्तोगी ने अटॉर्नी जनरल (एजी) से कहा कि आप पैनल के होने को सही ठहरा सकते हैं, लेकिन कानून और न्याय मंत्री के नोट के संदर्भ में हम इस चयन का आधार जानना चाहते हैं. उन्होंने सवाल करते हुए कहा कि हम जानना चाहते हैं कि क्या व्यवस्था कायम है और प्रक्रिया ठीक काम कर रही है, डेटाबेस सार्वजनिक डोमेन में है और कोई भी इसे देख सकता है?

नियुक्ति में होती है पीएम की भूमिका- अटॉर्नी जनरल

कोर्ट के सवाल का जवाब देते हुए अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी ने बताया कि विधि और न्याय मंत्रालय ही संभावित उम्मीदवारों की लिस्ट बनाता है, फिर उनमें से सबसे उचित का चुनाव होता है. इसमें पीएम की भी भूमिका होती है.

हमें बताएं, कैसे नामों को चुनते हैं- सुप्रीम कोर्ट

तो वहीं इस दौरान जस्टिस केएम जोसेफ ने कहा कि हमारे संविधान निर्माताओं ने ये स्पष्ट किया है कि मुख्य निर्वाचन आयुक्त का कार्यकाल छह साल का होना चाहिए. ये किसी विजन के साथ किया गया था. जस्टिस ने एजी से पूछा कि हमें बताएं कि कैसे कानून और न्यायमंत्री डेटा बेस से इन 4 नामों को चुनते हैं और फिर पीएम नियुक्ति करते हैं?

प्रधानमंत्री पर आरोप लगने पर आयोग ने क्या कार्रवाई किया ?

सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court) की संविधान पीठ ने बुधवार को चुनाव आयोग की स्वायत्तता पर सवाल उठाते हुए पूछा था कि कभी किसी प्रधानमंत्री पर आरोप लगने पर क्या आयोग ने उनके खिलाफ कोई कार्रवाई किया है? कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा कि आप चुनाव आयुक्त की नियुक्ति की पूरी प्रक्रिया हमें समझाएं. हाल ही में आपने एक आयुक्त की नियुक्ति की है. इसलिए आपको सब कुछ याद होगा.

न्यायपालिका में भी नियुक्ति प्रक्रिया में बदलाव आए- कोर्ट

वहीं जस्टिस रस्तोगी ने भी चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति प्रक्रिया पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि आपने इसकी न्यायपालिका से तुलना की है. न्यायपालिका में भी नियुक्ति प्रक्रिया में बदलाव आए. वर्तमान सिस्टम में अगर कोई खामी हो तो उसमें सुधार और बदलाव जायज है. केंद्र सरकार जब जज और चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया की नियुक्ति करती थी तब भी महान न्यायाधीश बने. लेकिन प्रक्रिया पर सवालिया निशान थे, इसलिए प्रक्रिया बदल गई.

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बता दें कि इस मामले की सुनवाई जस्टिस केएम जोसेफ की अगुवाई वाली संविधान पीठ में जस्टिस अजय रस्तोगी, जस्टिस अनिरुद्ध बोस, जस्टिस हृषिकेश रॉय और जस्टिस सीटी रविकुमार शामिल हैं.

-भारत एक्सप्रेस

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