
कर्नाटक के बेंगलुरु में वर्ष 2020 हुए दंगो की जांच कर रही एनआईए के मामले में हस्तक्षेप करने से सुप्रीम कोर्ट ने इनकार कर दिया है. शब्बर खान की ओर से दायर जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान कोर्ट ने यह आदेश दिया है. जस्टिस नागरत्ना की अध्यक्षता वाली पीठ ने यह फैसला दिया है. कोर्ट ने कहा कि विशेष अदालतों की कमी है. हाई कोर्ट और राज्य सरकार को तीन माह में स्पेशल कोर्ट के गठन का आदेश दिया है. अदालतों की कमी की वजह से सुनवाई में देरी हो रही है.
युएपीए के आरोपी को नहीं मिली जमानत
शब्बर खान के खिलाफ 11 अगस्त 2020 को हुए दंगों के मामले में युएपीए के तहत चार्जशीट दाखिल किया गया है. कथित तौर पर एक फेसबुक पोस्ट के लिए जिसमें कथित तौर पर पैगम्बर मुहम्मद पर अपमानजनक टिप्पणी की गई. पिछली सुनवाई में जस्टिस नागरत्ना ने पूछा था कि क्या युएपीए मामले में किसी भी आरोपी को जमानत दी गई. जिसपर याचिकाकर्ता के वकील ने जवाब दिया कि जिन 25 लोगों के खिलाफ युएपीए के आरोप लगाए गए, उन्हें जमानत नहीं दी गई.
उन्होंने आगे कहा था मेरे खिलाफ कुछ भी नही है. जस्टिस नागरत्ना ने एएसजी से कहा था कि जमीनी हकीकत देखिए. केवल एक ही अदालत है. 138 व्यक्तियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल किया गया है. वह अनुसूचित अपराध में आरोपित व्यक्ति है. 138 में से 25 के खिलाफ गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम 1967 के तहत आरोप लगाए गए है. कोर्ट ने पिछली सुनवाई में एनआईए की ओर से पेश एएसजी से पूछा था कि कम से कम मुकदमे की शुरुआत में कितना समय लगेगा? मुकदमा कब शुरू होगा.
-भारत एक्सप्रेस
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