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भारतीय संविधान के प्रावधानों की वैधता को चुनौती देने वाली जनहित याचिका खारिज, याचिकाकर्ता पर 10 लाख रुपये का जुर्माना

Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 149 और भारतीय संविधान के कई प्रावधानों की वैधता को चुनौती देने वाली जनहित याचिका को खारिज कर दिया है.

Supreme Court

सुप्रीम कोर्ट.

Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 149 और भारतीय संविधान के कई प्रावधानों की वैधता को चुनौती देने वाली जनहित याचिका को खारिज कर दिया है. साथ ही कोर्ट ने याचिकाकर्ता पर दस लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है. कोर्ट ने जुर्माने की राशि को एक सप्ताह के भीतर सुप्रीम कोर्ट लीगल ऑथोरिटी में जमा करने को कहा है. यह याचिका डॉ एसएन कुंद्रा ने दायर की थी. न्यायमूर्ति हृषिकेश रॉय और न्यायमूर्ति एसवीएन भट्टी की बेंच ने यह आदेश दिया है. कोर्ट ने कहा कि याचिका में जो दलीलें दी गई हैं उससे कोर्ट सहमत नहीं है.

संविधान के इन अनुच्छेदों की वैधता को दी गई थी चुनौती

डॉ एसएन कुंद्रा ने भारत के संविधान के अनुच्छेद 52, 53, 75(4), 77, 102(2), 164(3), 191(2), 246, 361 और 368 की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी थी. इसके अतिरिक्त, याचिका में सशस्त्र बलों द्वारा ली गई शपथ और भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 149 को चुनौती देने की मांग की गई. अनुच्छेद 52 (भारत के राष्ट्रपति), अनुच्छेद 53 (संघ की कार्यकारी शक्ति), अनुच्छेद 75(4) (राष्ट्रपति मंत्री को पद की शपथ दिलाएगा), अनुच्छेद 77 (भारत सरकार के कामकाज का संचालन), अनुच्छेद 102(2) (दलबदल के लिए संसद से अयोग्यता), अनुच्छेद 164(3) (राज्य के राज्यपाल राज्य मंत्री को पद की शपथ दिलाएंगे), अनुच्छेद 191(2) (विधानसभा के सदस्यों की दलबदल के लिए अयोग्यता), अनुच्छेद 246 (संसद और राज्यों के विधानमंडलों द्वारा बनाए गए कानूनों की विषय-वस्तु), अनुच्छेद 361 राष्ट्रपति, राज्यपालों और राजप्रमुखों को दी गई संवैधानिक प्रतिरक्षा से संबंधित है. अनुच्छेद 368 संसद को संवैधानिक संशोधन करने की शक्तियों और प्रक्रियाओं को निर्धारित करता है.

-भारत एक्सप्रेस

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