सुप्रीम कोर्ट.
बिहार के नालंदा में पंचायत भवन निर्माण से जुड़ी एक याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस सूर्यकांत ने टिप्पणी करते हुए कहा कि आरे कुछ तो लिहाज करो. अब क्या पटवारी का काम भी हम ही देखेंगे. कोर्ट ने याचिकाकर्ता से पूछा कि इस याचिका पर हम क्यों सुनवाई करें. यही कहते हुए कोर्ट ने याचिका को खारिज कर दिया है.
दरअसल बिहार के नालंदा जिले के एक गांव में जिस जगह पर पंचायत भवन बनना था प्रशासन ने उसे दूसरी जगह पर बना दिया. इसके खिलाफ दाखिल याचिका को पटना हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया था. जिसके बाद हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी. याचिकाकर्ता का दावा है कि नियमानुसार पंचायत भवन उनके गांव में ही बनना चाहिए. क्योंकि यह पंचायत का सबसे बड़ा गांव है. लेकिन प्रशासन द्वरा छोटे से धरनी घाम टोला में भवन का निर्माण करा दिया गया है. खैरा पंचायत के 13 गांवों में से यही सबसे बड़ा रेवेन्यू गांव है और यही गैर मजरूआ जमीन भी उपलब्ध है. इसके यहां बनने से कई गांव के लोगों को फायदा होगा.
बता दें कि पंचायती राज विभाग ने इस वित्तीय वर्ष में 4165 ग्राम पंचायतों में नए पंचायत सरकार भवन के निर्माण का लक्ष्य निर्धारित किया है. इसमें से आधे दो हजार पंचायत सरकार भवनों का निर्माण स्थानीय क्षेत्र अभियंत्रण संस्थान द्वारा जबकि आधा 2165 पंचायत सरकार भवनों का निर्माण भवन निर्माण विभाग द्वारा कराया जाएगा. लक्ष्य के विरुद्ध 3067 पंचायती राज विभाग की ओर से सामान्य क्षेत्र और बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों के लिए राशि स्वीकृत की गई है.
राज्य में 8053 ग्राम पंचायतें है. इनमें चरणवार पंचायत सरकार भवनों का निर्माण किया जाना है. अब तक 4236 पंचायत सरकार भवनों के निर्माण की मंजूरी मिल चुकी है. प्रत्येक पंचायत सरकार भवन में निर्वाचित प्रतिनिधियों और पंचायत स्तर के कर्मियों के लिए बैठने की जगह, ग्राम कचहरी का न्यायालय कक्ष, अभिलेखों के संरक्षण के लिए स्थान, स्टोर, पंचायत स्थायी समितियों की बैठकों के लिए हॉल, नागरिकों के लिए स्वागत कक्ष, महत्वपूर्ण कर्मियों के लिए आवासीय खंड, स्टोर, पेंट्री और शौचालयों का प्रावधान किया गया है.
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-भारत एक्सप्रेस
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