
कोलकाता आरजी कर मेडिकल कॉलेज में बलात्कार और हत्या मामले में सुप्रीम कोर्ट 29 जनवरी को सुनवाई करेगा. सीजेआई की अध्यक्षता वाली बेंच सुनवाई करेगी. इस मामले में दोषी संजय रॉय सियालदह कोर्ट के विशेष अदालत द्वारा सुनाई गई आजीवन की सजा के बाद पीड़िता के माता-पिता की ओर से दायर याचिका पर भी कोर्ट सुनवाई करेगा.
CBI जांच पर जताया असंतोष
पीड़िता के माता-पिता ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर सीबीआई जांच पर असंतोष जताया है और मामले की दोबारा जांच की मांग की है. इसको लेकर सुप्रीम कोर्ट और कलकत्ता हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई है. सियालदह कोर्ट ने रॉय को सजा सुनाते हुए उसपर 50000 रुपये का जुर्माना लगाया था. साथ ही राज्य सरकार को मृतक ट्रेनी महिला डॉक्टर के परिवार को 17 लाख रुपये का मुआवजा देने का निर्देश दिया था.
कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि यह अपराध जघन्यतम अपराध की श्रेणी में नही आता, जिससे दोषी को मौत की सजा दिया जा सके. वही पश्चिम बंगाल सरकार ने निचली अदालत द्वारा सुनाई गई आजीवन कारावास की सजा के खिलाफ याचिका दायर कर मौत की सजा की मांग की है.
ममता बनर्जी ने कहा था, “मुझे मीडिया से सजा के बारे में पता चला हमने हमेशा मौत की सजा की मांग की है और मैं इस पर कायम हूं. हालांकि यह अदालत का फैसला है और मैं इस बारे में ज्यादा कुछ नही सकती. तीन अन्य मामलों में, राज्य पुलिस ने गहन जांच के माध्यम से मौत की सजा सुनिश्चित किया, जो 54-60 दिनों के भीतर पूरा हो गया. यह एक गंभीर मामला था. अगर यह हमारे अधिकार क्षेत्र में होता, तो हम बहुत पहले ही मौत की सजा सुनिश्चित कर देते”
सियालह कोर्ट ने सजा पर बहस के दौरान दोषी संजय रॉय से कहा था कि मैंने आपको पिछले दिन बताया था कि आप पर क्या आरोप लगाए गए हैं. आपको खिलाफ कौन से आरोप साबित हुए है. इसपर आरोपी संजय ने जज से कहा मैंने कुछ नहीं किया है, न दुष्कर्म और न ही हत्या. मुझे झूठा फंसाया जा रहा है. मैं निर्दोष हूं. मैंने आपको पहले ही बताया था कि मुझे प्रताड़ित किया गया. उन्होंने मुझसे जो चाहा, उसपर हस्ताक्षर करवाए. कोर्ट ने इस मामले को जघन्यतम मामले से इनकार कर दिया था.
कोर्ट ने अपने इस फैसले में कहा कि मौत की सजा केवल असाधारण परिस्थितियों में दी जानी चाहिए, जहां समुदाय की सामूहिक चेतना इतने सदमे में हो वह न्यायालय से अपराधी को मौत की सजा देने की उम्मीद करती हो. आदेश में यह भी कहा था कि मौत की सजा के लिए अभियोजन पक्ष के अनुरोध को स्वीकार करना अनुचित होगा, क्योंकि अदालत इस मामले को दुर्लभतम अपराध नही मानता.
अधिकारियों को किया गिरफ्तार
कोलकाता हाई कोर्ट ने मामले को सीबीआई को सौपा था. इस मामले में सीबीआई ने सबूत नष्ट करने के कथित प्रयासों के लिए आरजी कार के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष और ताला पुलिस स्टेशन के अधिकारी अभिजीत मंडल को भी गिरफ्तार किया था, लेकिन समय सीमा के भीतर चार्जशीट दाखिल नही करने पर दोनों को जमानत पर रिहा कर दिया गया.
-भारत एक्सप्रेस
इस तरह की अन्य खबरें पढ़ने के लिए भारत एक्सप्रेस न्यूज़ ऐप डाउनलोड करें.