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UP News: सपा MLC लाल बिहारी यादव की याचिका पर 5 मार्च को सुनवाई करेगा सुप्रीम कोर्ट, जानें क्या है मामला

सपा के नेता लाल बिहारी यादव वर्ष 2020 में विधानपरिषद सदस्य बने और 27 मई 2020 को उन्हें विधान परिषद के विरोधी दल के नेता के रूप में मान्यता दी गई थी.

फोटो-सोशल मीडिया

UP News: उत्तर प्रदेश विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष की मान्यता समाप्त करने के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट 5 मार्च को सुनवाई करेगा. बता दें कि यह याचिका सपा MLC लाल बिहारी यादव ( Lal Bihari Yadav) ने दायर की थी. उन्होंने इस याचिका के जरिए इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है, क्योंकि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उनकी याचिका को खारिज कर दी थी.

गौतलब है कि समाजवादी पार्टी (सपा) के नेता लाल बिहारी यादव वर्ष 2020 में विधानपरिषद सदस्य बने और 27 मई 2020 को उन्हें विधान परिषद के विरोधी दल के नेता के रूप में मान्यता दी गई थी लेकिन बाद में परिषद में समाजवादी पार्टी के विधायकों की संख्या 10 से कम होने पर सभापति ने उनकी मान्यता समाप्त कर दी थी. इसी के बाद उन्होंने हाईकोर्ट का रुख किया था, लेकिन यहां याचिका खारिज होने के बाद उन्होंने अब सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था. बता दें कि इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में लगातार सुनवाई हो रही है.

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इससे पहले लाल बिहारी यादव अपना पक्ष रखते हुए कोर्ट में कह चुके हैं कि सदन के चेयरमैन कार्यालय से जारी अधिसूचना कहती है कि नेता प्रतिपक्ष उसी पार्टी का होगा, जिसके सदस्य सदन की कुल क्षमता का 10 प्रतिशत होंगे. इसी के साथ ही यादव अपनी दलीलों में ये भी कह चुके हैं कि नेता प्रतिपक्ष का पद सपा को मिलना चाहिए क्योंकि उसके सदन में नौ सदस्य हैं जो सदन के निर्वाचित सदस्यों का 10 प्रतिशत हैं. सरकार ने उनकी दलील का विरोध करते हुए कहा कि यह संख्या कुल सदस्य संख्या का 10 प्रतिशत होनी चाहिए. सदन में कम से कम 10 सदस्यों वाली पार्टी ही यह पद पाने के योग्य है. हालांकि पहले हुई सुनवाई में शीर्ष अदालत ने कहा था कि ‘हमें देखना होगा कि क्या कानून में ऐसा कोई प्रतिबंध है कि नेता प्रतिपक्ष उसी पार्टी का होगा जिसकी सदन में निश्चित संख्या में सीटें होंगी.’ 100 सदस्यीय विधानपरिषद में 90 सदस्य निर्वाचित और 10 सदस्य नामित होते हैं.

जाने जाते हैं विवादित बयानों को लेकर

बता दें कि लाल बिहारी यादव अक्सर अपने विवादित बयानों से सुर्खियों में बने रहते हैं. एक बार वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद के अंदर मिले कथित शिवलिंग को लेकर कहा था कि, भगवान शंकर आदमी थे या पत्थर? उन्होंने ये भी कहा था कि, मस्जिद के अंदर मिला पत्थर अगर भगवान शिव की मूर्ति के रूप में होता तो मैं भी मानत कि वह भगवान शिव की मूर्ति है, लेकिन ऐसा नहीं है.

-भारत एक्सप्रेस



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