दिल्ली वायु प्रदूषण.
Delhi Air Pollution: दिल्ली वायु प्रदूषण मामले में सुप्रीम कोर्ट 27 सितंबर को सुनवाई करेगा. मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट को बताया गया कि पंजाब में पराली को जलाना फिर से शुरू हो गया है. जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने एयर क़्वालिटी मैनेजमेंट कमीशन से जवाब मांगा है. जस्टिस अभय ओका की अध्यक्षता वाली बेंच इस मामले में सुनवाई कर रही है. पिछले साल सुप्रीम कोर्ट ने पराली जलाने पर रोक का आदेश दिया था. कोर्ट ने कहा था अगर सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद पराली जलाया जाता है तो इसके लिए एसएचओ जिम्मेदार होगा. पिछले साल दिल्ली और पंजाब सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया था. दिल्ली सरकार द्वारा दाखिल हलफनामे में कहा गया था कि प्रदूषण को काबू करने के लिए कड़े कदम उठाए गए हैं.
राज्य सरकार गंभीर
वहीं, पंजाब सरकार ने कहा था कि पराली जलाने को रोकने को लेकर राज्य सरकार गंभीर है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था यह नीतिगत मुद्दों में प्रवेश नहीं करते, लेकिन अगर लोग मर रहे है, तो हम नीतिगत मुद्दों में प्रवेश करेंगे. इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब को चेतावनी देते हुए कहा था कि कुछ भी करें, पराली जलाने की घटनाएं रोकें. राजनीतिक दोषारोपण का खेल बंद होना चाहिये. नीतियां इस पर निर्भर नहीं हो सकती कि कौन सी पार्टी किस राज्य में शासन कर रही है. दिल्ली और पंजाब में आम आदमी पार्टी की सरकार है. कोर्ट ने कहा था, धान से उपजाने से ज्यादा जरूरी लोगों की जिंदगी है.
वायु प्रदूषण की निगरानी निजी हाथों में सौंपने की तैयारी
दूसरी ओर, हाल ही में प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव ने दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण पर उच्च स्तरीय टास्क फोर्स की बैठक की अध्यक्षता की. बैठक में पराली जलाने, वाहनों से निकलने वाले उत्सर्जन, सड़क और निर्माण धूल, ठोस अपशिष्ट प्रबंधन और डीजल जनरेटर सेट सहित विभिन्न स्रोतो से प्रदूषण से निपटने के लिए चल रहे प्रयासों का मूल्यांकन करने पर ध्यान केंद्रित किया गया. हालांकि, राजधानी में वायु प्रदूषण की निगरानी अब निजी हाथों में सौंपने की तैयारी कर ली गई है. विशेषज्ञ एजेंसी रियल टाइम सोर्स अपोर्शनमेंट अध्ययन करेगी. मोबाइल मॉनिटरिंग लैब के संचालन का जिम्मा भी इसी एजेंसी के पास रहेगा.
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-भारत एक्सप्रेस