सुप्रीम कोर्ट.
दिल्ली वायु प्रदूषण मामले में सुप्रीम कोर्ट ने एयर क़्वालिटी मैनेजमेंट कमीशन को फटकार लगाते हुए बेहतर अनुपालन रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया है. कोर्ट 3 अक्टूबर को इस मामले में अगली सुनवाई करेगा. कोर्ट ने CAQM की रिपोर्ट को देखने के बाद हैरानी जताई कि कमीशन की सब कमिटी की बैठक साल में सिर्फ चार बार ही होती है. मामले की सुनवाई के दौरान पूछा कि क्या धारा 11 के अंतर्गत समितियां बनाई गई है? कितनी बैठके हुई है? क्या कदम उठाए गए हैं?
जस्टिस अभय एस ओका और ऑगस्टिन मसीह की बेंच ने कहा कि राज्यों का रवैया लापरवाह रहा है. कोर्ट ने चेयरमैन से पूछा कि जिन अधिकारियों ने लापरवाही बरती है उनके खिलाफ कोई कार्रवाई की गई है? जिसपर चेयरमैन ने कहा कि 18-19 को हमने पंजाब हरियाणा के अधिकारियों के साथ वर्चुअल बैठक की थी और 23 को पीएम तथा राज्यों के प्रदूषण बोर्ड के साथ उच्च स्तरीय बैठक हुई. तब हमने पंजाब और हरियाणा के मुख्य सचिवों को चेतावनी जारी की है. वहीं एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने कहा कि हम बहुत कोशिश कर रहे हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राज्य और प्राधिकार मूक दर्शक बने हुए हैं. जबकि CQAM तीन महीने में केवल एक बार मिल रहे है. ASG भाटी ने कहा कि जब गतिविधि में तेजी आई तो हम साप्ताहिक बैठक कर रहे हैं. हम बैठकों के सभी मिनट पेश करेंगे. वही कोर्ट की तरफ से नियुक्त एमिकस क्यूरी अपराजिता सिंह ने मांग की कि इस साल प्रदूषण की स्थिति गंभीर होने से पहले भी किसानों को पराली जलाने से रोका जाए. कोर्ट ने कमीशन को सुनिश्चित करने को कहा कि किसानों को पराली नष्ट करने के लिए दी गई मशीनों का इस्तेमाल हो.
कोर्ट ने यह भी कहा कि आयोग को CAQM एक्ट की धारा 14 में सख्त कार्रवाई का अधिकार है. लेकिन कमीशन ने 2021 में अपने गठन के बाद से कोई कार्रवाई नही की. कोर्ट ने CAQM से पूछा कि हर साल पराली जलाई जाती है. क्या इसमें कोई कमी आई है? आप पराली जलाने के खिलाफ प्रभावी कार्रवाई क्यों नहीं कर रहे है? CAQM के अध्यक्ष राजेश वर्मा ने बताया कि उन्होंने समिति बनाने के बाद 82 कानूनी आदेश और 15 सुझाव जारी किए हैं. उनकी टीम ने 19000 जगहों का निरीक्षण किया है और 10000 से ज्यादा फैक्ट्रियों को बंद करने का आदेश दिया है.
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-भारत एक्सप्रेस
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