तमिलनाडु भाजपा ने राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ (Jagdeep Dhankhar) के खिलाफ इंडिया ब्लॉक द्वारा लाए गए अविश्वास प्रस्ताव को “शर्मनाक राजनीतिक नाटक” और “ब्लैकमेल की राजनीति” करार दिया.
पार्टी प्रवक्ता और वरिष्ठ नेता ए.एन.एस. प्रसाद (A.N.S. Prasad) ने इसे BJP सरकार को बदनाम करने का हताश प्रयास बताया. उन्होंने कहा कि राज्यसभा के 72 साल के इतिहास में यह पहला मौका है जब इस तरह का प्रस्ताव लाया गया है. इसे “ब्लैकमेल की राजनीति” का उदाहरण बताते हुए प्रसाद ने विपक्ष पर गंभीर आरोप लगाए.
लोकतांत्रिक मूल्यों को कमजोर करने का आरोप
प्रसाद ने आरोप लगाया कि विपक्ष का यह कदम सभापति को डराने और उनके अधिकार को कमतर आंकने का प्रयास है, जिससे देश के लोकतांत्रिक मूल्यों को खतरा हो सकता है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस (Congress) और अन्य विपक्षी दल, भाजपा द्वारा की गई जनहितकारी पहलों की लोकप्रियता से हताश होकर ऐसा कर रहे हैं.
उन्होंने कहा, “संख्या बल की कमी को जानते हुए भी विपक्ष सरकार के अधिकार को कमजोर करने के लिए विघटनकारी रणनीतियां अपना रहा है. यह बेहद निंदनीय है.” उन्होंने इसे राहुल गांधी (Rahul Gandhi) की “विभाजनकारी राजनीति” का उदाहरण बताया.
संवैधानिक व्यवस्था पर जोर
प्रसाद ने भारतीय संविधान के अनुच्छेद 89 का उल्लेख किया, जो राज्यसभा के सभापति के पद की स्थापना करता है. उन्होंने कहा कि सभापति का पद केवल संवैधानिक है और उनकी निष्पक्षता संसद के सुचारू संचालन के लिए महत्वपूर्ण है.
उन्होंने कहा, “अध्यक्ष का काम सदन में व्यवस्था बनाए रखना, नियमों की व्याख्या करना और संसदीय कार्यों को सुचारू रूप से चलाना है. इस पद को कमजोर करने का कोई भी प्रयास असंवैधानिक और लोकतांत्रिक सिद्धांतों के खिलाफ है.”
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विपक्ष पर “ब्लैकमेल की राजनीति” का आरोप
प्रसाद ने आरोप लगाया कि विपक्ष ने अविश्वास प्रस्ताव (No Confidence Motion) का इस्तेमाल एक संवैधानिक साधन के बजाय राजनीतिक लाभ के लिए किया है.
प्रसाद ने कहा, “राज्यसभा का सभापति कोई राजनीतिक व्यक्ति नहीं है, बल्कि एक संवैधानिक पदाधिकारी है. उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाकर विपक्ष उन्हें डराने और ब्लैकमेल करने की कोशिश कर रहा है.”
न्यायालय के फैसले का हवाला
प्रसाद ने 1959 के सुप्रीम कोर्ट के एक मामले का हवाला देते हुए कहा कि ऐसे मामलों में सभापति का निर्णय अंतिम और बाध्यकारी होता है. उन्होंने कहा कि विपक्ष को सभापति की निष्पक्षता का सम्मान करना चाहिए.
अंत में ए.एन.एस. प्रसाद ने कहा, “यह अविश्वास प्रस्ताव सिर्फ वास्तविक मुद्दों से ध्यान भटकाने और जनता को गुमराह करने की एक कोशिश है. राहुल गांधी और उनके नेतृत्व वाला विपक्ष अपने इन प्रयासों में विफल होगा क्योंकि जनता उनकी रणनीतियों को पहचान चुकी है.”
-भारत एक्सप्रेस
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