
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री-एमके स्टालिन

संवाददाता, प्रशांत त्यागी
Delimitation In India: तमिलनाडु के मुख्यमंत्री और DMK सुप्रीमो एमके स्टालिन देश में परिसीमन प्रक्रिया के खिलाफ सियासी बैटिंग करने के लिए तैयार हैं. उन्होंने दक्षिणी राज्यों के साथ-साथ उन राज्यों को भी एकजुट करने का प्रयास किया है, जो परिसीमन के कारण अपनी लोकसभा सीटों में कमी का डर महसूस कर रहे हैं. इस संदर्भ में, चेन्नई में एक बड़ी बैठक बुलाई गई, जिसमें तमिलनाडु के अलावा कई अन्य विपक्षी नेताओं और मुख्यमंत्रियों ने भाग लिया.
पता चला है कि तमिलनाडु के मुख्यमंत्री और डीएमके अध्यक्ष एम.के. स्टालिन की अगुवाई में संयुक्त कार्य समिति (Joint Action Committee – JAC) की पहली बैठक होगी. वहीं, चेन्नई में हुई चर्चा के दौरान सीएम स्टालिन, विजयन, रेवंत, पटनायक और मान के सुर ऐसे थे कि वे परसीमन के खिलाफ रहेंगे. उनका कहना था कि इससे हमारी पहचान खतरे में पड़ जाएगी.’
परिसीमन क्या है?
परिसीमन एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसके तहत जनसंख्या के आधार पर संसदीय और विधानसभा क्षेत्रों की सीमाएं फिर से निर्धारित की जाती हैं. यह प्रक्रिया आम तौर पर हर 10 साल में होती है, ताकि हर क्षेत्र का प्रतिनिधित्व समान और निष्पक्ष हो सके. भारत में अगला परिसीमन 2026 में होने की संभावना है.
स्टालिन का उद्देश्य
स्टालिन का उद्देश्य प्रस्तावित परिसीमन प्रक्रिया के खिलाफ विरोध जताना और प्रभावित राज्यों के बीच एकजुटता स्थापित करना है. दक्षिणी और अन्य राज्यों में यह डर है कि परिसीमन के कारण उनकी लोकसभा सीटों की संख्या में कमी हो सकती है, जबकि उत्तर प्रदेश, बिहार और राजस्थान जैसे हिंदी भाषी राज्यों की सीटें बढ़ सकती हैं.
दक्षिणी राज्यों का डर
दक्षिणी राज्यों का मुख्य चिंता इस बात को लेकर है कि परिसीमन के बाद उनकी लोकसभा सीटों की संख्या घट सकती है. तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक, और तेलंगाना जैसे राज्य इस प्रक्रिया के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं. उनका मानना है कि यह कदम उनके राजनीतिक प्रभाव को कमजोर कर सकता है.
राजनीतिक संदर्भ
एमके स्टालिन ने इस मुद्दे को उस समय उठाया है, जब तमिलनाडु में अगले साल विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. साथ ही, उन्होंने हिंदी को लेकर तीन भाषाई नीति का विरोध भी किया है, जो इस मुद्दे को और गर्म करता है.
विपक्ष की एकजुटता
इस बैठक में दक्षिणी राज्यों के अलावा अन्य विपक्षी दलों के नेता भी शामिल हुए. स्टालिन के नेतृत्व में यह प्रयास किया जा रहा है कि परिसीमन प्रक्रिया का विरोध करने के लिए विपक्ष एकजुट हो और अपनी आवाज बुलंद करे.
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